Saturday, March 2, 2013

'नयन,ह्रदय,प्रीत'


प्रथम प्रयास दोहा लिखने का गुरु जी एवं अरुण के अथक प्रयास के साथ 
कृपया गलती निसंकोच बताएं ...... 

नयन मिलें जब आपसे ,पुष्प ह्रदय खिल जाय
 मन का पंछी उड़ चला ,कछु भी नही सुहाय

मन पंछी जो उड़ गया  ,फिर काहे पछताय
ह्रदय  प्रेम  क्यों गोरिया ,नयनों से छलकाय  

नयन मिला कर कृष्ण से, करले सच्ची प्रीत।
इस झूठे संसार में, नहीं कृष्ण सा मीत ।।


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10 comments :

  1. आदरेया सरिता जी प्रथम प्रयास बहुत ही सराहनीय है इसके हेतु आपको हार्दिक बधाई कोशिश करते रहिये जल्द और सुन्दर लिखने लग जायेगीं आप. सादर

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  2. शानदार कुण्डलियाँ | आभार


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    1. तुषार जी,,,,ये दोहे है, कुण्डलियाँ नही है,,

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    2. बहुत सुंदर भाव पूर्ण दोहे,,,

      सरिता जी,,, आपका पथम प्रयास सराहनीय है,प्रयास जारी रखे,,बधाई,
      (पंछी मन का उड़ गया,फिर काहे पछताय)

      RECENT POST: पिता.

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  3. 13,11
    13,11
    13,11
    लिखती रहिये...

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  4. सटीक है आदरेया-
    नि:संकोच रचते रहे दोहे-

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  5. सुन्दर सन्देश देते बढ़िया दोहे!
    बधाई हो!
    आप दोहे लिखना सीख गयीं हैं!

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  6. सभी दोहे अच्छे हैं
    सादर !

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