Monday, December 2, 2013

तरही गजल

११२१२     ११२१२     ११२१२     ११२१२ 
जो अवाम की भी पसंद हो,कभी सोचता जो बुरा न हो 
मुझे आदमी वो बना खुदा कभी जिससे कोई खता न हो /

'मुझे दे खुदा तू वो नेमतें तेरी बन्‍दगी में रहूँ सदा' 
कहीं जानवर मेरे भीतरी कभी मुँह उठा के खड़ा न हो /

बनी दरमियाँ यही दूरियां मुझे सालती दिनों रात हैं 
मिटा दूरियां मेरे वास्ते चला पास आ यूँ खफा न हो /

मुझे छोड़ दे यहीं राह में मुझे इंतज़ार है यार का 
'इसी मोड़ पर मेरे वास्ते वो चराग ले के खड़ा न हो ' /

मेरी मखमली सी है रूह जो मुझे चुभ रही किसी शूल सी 
मुझे क्‍यूँ सज़ा ये मिली बता जो गुनाह मुझसे हुआ न हो /

बढ़ी बेटियाँ रहीं पूछती तू उदास क्यों है पिता बता 
क्या समझ सके वो है गर्दिशें जो पिता अभी बना न हो /
*****

Post A Comment Using..

No comments :