Monday, February 24, 2014
डाली डाली [कुण्डलिया]
डाली डाली फूल हैं ,हरियाली चहुँ ओर
रात सुहानी हो गई उजली है अब भोर /
उजली है अब भोर नभ निर्मल है भाया
देख धरा शृंगार मनुज ह्रदय मुस्कराया
खिले देखकर पुष्प ,ख़ुशी से झूमे माली
करते हैं मधुपान ,भंवरे डाली डाली //
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