Friday, April 11, 2014

बेटियाँ [कुण्डलिया]

बसती जिस घर बेटियाँ महक उठें परिवार
दो घर को हैं जोड़ती बाँटें शुभ संस्कार
बाँटें शुभ संस्कार नहीं भेदभाव करना
माँगें केवल स्नेह, हौंसला उनका बनना
आँगन खिलते फूल, बेटियाँ हैं जब हँसती
सरिता देना प्यार, यहाँ भी बेटी बसती 
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