Wednesday, May 21, 2014

नेता जी

जन जन का उद्धार करेंगे
बेड़ा सबका पार करेंगे 
बोले तो नेता जी 

बोलेंगे वो मीठी भाषा 
लोग लगा बैठे हैं आशा 
बोले तो नेता जी 

घर घर जाकर माँगे वोट 
मंहगाई पर करेंगे चोट 
बोले तो नेता जी 

धारते मनभावन आखेट 
कहें मिलती रोटी भरपेट 
बोले तो नेता जी 

सफ़ेद वस्त्र हैं काले धन्धे 
इनके दिन ना बीतें मंदे 
बन गए नेता जी 

नेता जी की नहीं जुबान 
इनके हाथ में देश की आन 
बन गए नेता जी 

घर अपने का हुआ उद्धार 
अपनों का किया बेड़ा पार 
बन गए नेता जी 

ले लिया वोट देकर नोट 
मन में भरा था इनके खोट 
चले गए नेता जी 

पाँच बरस तक कर इंतज़ार 
सहना अब मंहगाई की मार 
चले गए नेता जी 

किया कोई ना वादा पूरा 
हर सपना छोड़ा अधूरा 
चले गए नेता जी 
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