Sunday, May 25, 2014
इंसान [कुण्डलिनी ]
मंदिर मस्जिद सोचते ,वो होते इंसान
जात परिंदों की भली, देखें ना भगवान ||
देखें ना भगवान ,कहीं भी करें बसेरा
यह फितरत इंसान, सोच के डालें डेरा ||
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