Wednesday, June 18, 2014

कौवा

हर रोज सुबह 
जब कौवा बोलता है 
मेरे फ्लैट की बालकोनी की मुंडेर से 
देता है त्वरित सन्देश तेरे आने का
जैसे ही रोटी बनाते हुए
आटे का पेड़ा उछल कर गिर जाता है
तो सारा दिन झूमती हूँ ख़ुशी से
इक्कठे करती हूँ शुभ संकेत तेरे आने के
फिर थक कर सो जाती हूँ तेरी ही आगोश में
अपने ख्यालों के घेरे में
सोचते हुए
सपना कभी तो सच होगा
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आजकल शायद ना छत्त रही है ना मुंडेर 
इसलिए कौवा किसी के आने का संकेत नही देता 
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