Tuesday, October 28, 2014

तरही गजल

सितारों सी सजी राहें रिझाती हैं दिवाली में 
ख़ुशी की महफ़िलें जब खास आती हैं दिवाली में |

सिया औ' राम जो आए अयोध्या लौट कर तब से  
नगर गलियाँ मुंडेरें टिमटिमाती हैं दिवाली में |

दुआयें माँ हमेशा दे रही बच्चों को लगता ,जब 
फिजाएं नूर की चादर बिछाती हैं दिवाली में  |

पटाखों को नहीं कहकर, ख़ुशी से झूमते बच्चे  
सुरक्षा आदतें माएं सिखाती हैं दिवाली में |

रंगोली है सजी आँगन, दिये रोशन करें जीवन 
दियों के रूप में खुशियाँ ही आती हैं दिवाली में |

अँधेरा दूर कर मन का ,चले जो राह सच्ची हम
खुदा की रहमतें राहें दिखाती हैं दिवाली में |

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