Monday, April 13, 2015

सपने देखना मत छोड़िये

भूली नहीं हूँ मैं 
तेरे सीने पर मेरा सर 
वो तेरा हौले हौले 
मेरे बालों में उँगलियाँ फेरना 
मेरी उदास आँखों में 
उम्मीद के रंग भरना 
मेरे दर्द को पी जाना 
अपने लबों से 
फिर....
एक सन्नाटा 
और खो जाना तेरा 
गुमनाम अंधेरों में 
वो चुप्पी साध लेना तेरा  
तबाह कर गया मुझे 
तेरा जानलेवा 
इकरार कभी  
इंकार कभी 
इश्शश .....
तेरा लेना मुझे 
अपनी आगोश में 
मेरी वो झूठी नाकाम छटपटाहट 
उस गिरफ्त से निकलने की 
कर जाती मेरी निद्रा को भंग 
देकर एक असहनीय चोट 
मेरे उस दुस्साहसी स्वप्न को 
दिखाते हुए  
मुझे आइना 
वास्तविकता का 
क्योंकि 
वो तो केवल एक अहसास था 
जो पल भर के लिए आया.....
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सपने देखना मत छोड़िये 
भगवान के घर देर है ,अंधेर नहीं ....
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