लोग कहते हैं...
सपने कभी मत देखो,यह तो अक्सर टूट जाते है
सपने कभी पूरे नही होते,सबके साथ छूट जाते हैं
दिन का उजाला होते ही,अपने हमसे रूठ जाते हैं
मैं कहूँ...
आओ देखें मिलकर इक सपना नया
दिन का है उजाला अब, रात का अंधेरा गया
सीड़ी नही चड़ी तो क्या जानें? उपर जाने का सुख
गिर गिर कर सवार होने से क्यों पाते हो दुख?
यह तो है दुनिया की रीत,गिर गिर सीडीयाँ चढ़ना
सामने हो लक्ष्य,इरादे हों अटल,फिर काहे को डरना