बसंती हवाओं का जैसे ही फेरा हो गया,
फाल्गुन के आते ही रंगीन सवेरा हो गया|
आओ सब मिल होली मिलन मनाएँ,
नफ़रत और गिले शिकवों को भूल|
खुश्बू से महका है सारा आलम,
कुदरत ने सुन्दर बिखेरे है फूल|
नीला,पीला,हरा, लाल ,गुलाबी,
गलियों में उठी है रंगों की धूल|
दीन दुखियों में यूँ प्यार रंग बाँटो,
रहे ना किसी के मन में कोई शूल|
गुस्सा छोड़ो,गले से लग जाओ,
हो जाओ चाचा तुम अब कूल|
पिचकारी,गुब्बारे,गुलाल लाओ,
गलियों में बनाओ रंगों के पूल|
हुड़दंग करो टोलियाँ बना आओ,
रहे ना आज कोई नफ़रत का रूल|
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