Monday, January 26, 2015

आओ फिर गणतंत्र मनायें

आओ फिर गणतंत्र मनायें 
आजादी की अल्ख जगायें 

सत्य अहिंसा का दे मंत्र 
हर्ष दे रहा है गणतंत्र 
फिर से प्रेम मशाल जगायें 
आओ फिर ...

तोपों की दे रहे सलामी 
दूर हुई थी आज गुलामी 
राष्ट्र ध्वज फिर से फहरायें 
आओ फिर ...

सजे ऊँट घोड़े और हाथी 
चलते ताल मिलाकर साथी 
झाँकियों में भारत दिखलायें  
आओ फिर ...

विजय चौक बना बहुरंगा 
ऊँचा उड़ता जाये तिरंगा 
अमर जोत पर शीश नवायें  
आओ फिर ...

अपने खून से खेली होली 
सीने पर खाई थी गोली  
हम भी अपना फर्ज निभायें 
आओ फिर...

आजाद हिन्द की फ़ौज बनाकर 
आजादी के नगमें गाकर  
अब तो सोया देश जगायें 
आओ फिर ...

सेवा त्याग ईमान यहाँ हो 
नारी का सम्मान वहाँ हो 
ऐसी इक पहचान बनायें 
आओ फिर ...

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई 
मिलजुल सारे भाई भाई 
इस मिटटी की शान बढायें
आओ फिर ...

असली आजादी हो तब
भ्रष्ट तंत्र ख़त्म हो जब  
भारत को सिरमौर बनायें 
आओ फिर ....
.......
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