वो गुजरा जमाना जो हम तुम मिले थे
है बीता फ़साना जो हम तुम मिले थे|
बदलना अँगूठी को इक दूसरे से
वो दिन था सुहाना जो हम तुम मिले थे|
बिना तेरे सूने हैं दिन और रातें
न भूले जमाना जो हम तुम मिले थे|
वो करवे की थाली वो श्रृंगार सोलह
वो गजरा लगाना जो हम तुम मिले थे|
वो बिस्तर वो तकिया वो पायल है गुमसुम
सभी देते ताना जो हम तुम मिले थे |
जिये संग सरिता ने अनमोल लम्हे
न आये भुलाना जो हम तुम मिले थे|
.... 21 जून,2016.