तुम सही मायने में नेताओं के 'बापू' निकले,जो पहले
से ही अपने सुपूतों के नक्शे कदम भाँप गये और जाते
जाते उन्हें तीन बंदर भेंट दे गये...........
तेरे ही देश में,
नेता के भेस में,
आज तेरे बंदर नज़र आते हैं
कहते हैं.........
बुरा मत देखो
जो हो रहा उसे होने दो!
बुरा मत सुनो
कोई कुछ भी कहे कहने दो!
बुरा मत बोलो
क्योंकि तुम गुंगे और बहरे हो!
2.
इसलिए
नहीं सुन पाते
एक ग़रीब,आम आदमी की चीख,पुकार
नहीं देख पाते
एक माँ की झुरीओं के पीछे का दर्द
नहीं बोल पाते
उनके अंतर्मन की वेदना,तड़प
3.
अगर यूँ कहें कि
अपने बारे में कुछ भी
बुरा मत देखो,
बुरा मत सुनो,
बुरा मत बोलो.
तो
तुम बापू के 'तीन बंदरों' को अपने में समेटे
असली नेता बन गये हो