Tuesday, February 12, 2013

''..जादू की जफ्फी..''



दोस्तों ने दोस्तों को यूँ गले से लगाया है
 गिले शिकवे मिटा,दिल से दिल मिलाया है
 अब तो दे दो यार तुम भी''जादू की जफ्फी''
 हम भी कहें आज हमने भी हॅग डे मनाया





 गिले शिकवे मिट गये, गम सब दूर हो गये
 यारों से यार मिले,सबके मन हल्के हो गये
 कहने को हम दूर हैं पर सबके दिल में रहते हैं
 आँख बन्द कर बाहें फैलाओ,हम यहीं हैं कहते हैं





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11 comments :

  1. बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा

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  2. बहुत खूब ... गीले शिकवे मिट जाएं तो जीवन आसान हो जाता है ...

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  3. हार्दिक आभार सरिता जी आप मेरे ब्लॉग पर आई मुझे आपके ब्लॉग कि जानकारी मिली आपको फॉलो कर लिया है अब आप मेरे एग्रिगेतेर पर हैं

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  4. सुंदर सकारात्मक भाव......

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  5. मेरा इससे पहला कमेंट डिलीट कर दीजिए!
    --
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (16-02-2013) के चर्चा मंच-1157 (बिना किसी को ख़बर किये) पर भी होगी!
    --
    कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि किसी पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
    सादर...!
    बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
    सूचनार्थ!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. सहज सरल सुन्दर मन की मनोहर अभिव्यक्ति .

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  7. सुन्दर रचना | आभार

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  8. ये झप्पिया तो बहुत प्यारी लगी बहुत खूब बधाई सरिता जी

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