Wednesday, February 13, 2013

मौसम है आशिकाना.............


मौसम है आशिकाना,जो तुम आज आते, तो बात बनती
भँवरा है दीवाना ,जो फूल सा मुस्कराते, तो बात बनती





गुलाब के साथ अगर,तुम खुद चले आते, तो बात बनती
बिन बोले कुछ भी,जो सब कुछ कह जाते, तो बात बनती

धड़कनों को यूँ छू कर,जो साँसों में समाते ,तो बात बनती

जब तक है जिंदगानी,प्यार यूँ ही निभाते ,तो बात बनती

















कल था ,आज है ,रोज ऐसा मौसम लाते ,तो बात बनती

प्यार की चली हवाएँ,मेरे लवगुरु बन आते, तो बात बनती

राहें कठिन है तुम बिन,जो साथ चले आते, तो बात बनती

निभाया है अभी तक, तमाम जिंदगी निभाते, तो बात बनती 




जब तक है जिंदगानी,प्यार यूँही दोहराओ,तो बात बने
आज दिल ने पुकारा,मेरे वेलिंटाइन बन जाओ,तो बात बने

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9 comments :

  1. बेहतरीन रचना


    सादर

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  2. बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में ........सरिता जी

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  3. सुन्दर प्रभाब शाली अभिब्यक्ति .आभार .

    सजा क्या खूब मिलती है , किसी से दिल लगाने की
    तन्हाई की महफ़िल में आदत हो गयी गाने की

    हर पल याद रहती है , निगाहों में बसी सूरत
    तमन्ना अपनी रहती है खुद को भूल जाने की

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  4. उनका जिक्र,उनकी तमन्ना, उनकी याद
    वक्त कितना कीमती है इन दिनों,,,,,


    RECENT POST... नवगीत,

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  5. बात ज़रूर बनेगी...
    प्यार का वार खाली नहीं जाता <3
    शुभकामनाएं.

    अनु

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  6. सुन्दर।
    मधुमास में प्रस्तुत रंगों का परोसती बढ़िया रचना।

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  7. मौसम है आशिकाना,जो तुम आज आते, तो बात बनती
    भँवरा है दीवाना ,जो फूल सा मुस्कराते, तो बात बनती

    :)
    वाऽह ! क्या बात है !
    रूमानियत के अच्छे रंग भरे हैं आपने कविता में...
    आदरणीया सरिता जी !

    पुरानी पोस्ट्स में आपकी कुछ अन्य रचनाएं भी पढ़ कर अच्छा लगा...

    बसंत पंचमी एवं
    आने वाले सभी उत्सवों-मंगलदिवसों के लिए
    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
    राजेन्द्र स्वर्णकार

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  8. उत्कृष्ट प्रस्तुति-
    आभार आदरेया |

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