Monday, February 18, 2013

!!..'बचपन सुरक्षा' एवं 'नारी उत्थान' ..!!


कलेजे के टुकड़े को 
सड़क पर छोड़,
सफेद फटी साड़ी में, 
अपनी अस्मिता समेटे
एक पत्थर तोड़ती माँ!




पेट की अग्नि शांत करने को,
चिथड़ों में लिपटे, 
कूड़ा बीनते, 
दो छोटे बच्चे.





कह गये ...
सरकार द्वारा चलाए अभियान की,
अनकही 
'बचपन सुरक्षा',
'नारी उत्थान' 
की कहानी,
अपनी इस तस्वीर की ज़ुबानी
...........................................
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16 comments :

  1. अत्यंत मार्मिक रचना |

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  2. बहुत ही भावात्मक एवं मार्मिक प्रस्तुति.

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  3. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि कि चर्चा कल मंगल वार 19/2/13 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है

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  4. मार्मिक है

    आभार -आदरिया ।।

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  5. यह हकीकत है ...
    शुभ कामनाएं !

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  6. आजकल के हालत को बया करती आपकी उम्दा प्रस्तुती
    मेरी नई रचना
    प्रेमविरह
    एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ

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  7. सभी दोस्तों ने मेरी रचना को पसंद कर उसके बारे में अपने विचार रखे,
    शुक्रगुज़ार हूँ,सभी मित्रों की ,निसंकोच आते रहिए,
    अपने काफिले में साथ ले जाने का फर्ज़ निभाते रहिए

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  8. behad samvedanshil prastuti," Adab ka aayeena un tang galion se gazarta hai,jaha bachpan siskta hai lipat kar ma ke sine se........"hay ri kishmat ki baccha khali pet so gaya,ma ke kadmo se lipat ke barha manuhar pe "(Adam Gondvi)

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  9. मार्मिक रचना..

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