हमराही

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Monday, January 18, 2016

रूह के रिश्ते

रूह के रिश्ते 
होते हैं अजीब 
न समझो तो हैं दूर,
जो समझो तो हैं बहुत करीब

रूह के रिश्ते 
जो बिन देखे बन जाते हैं 
अगर जो न मिल पायें 
तो जीवन भर तड़पाते हैं 

रूह के रिश्तों  को तोड़कर 
हो पाता नहीं कोई गैर 
दूर चाहे जितना रहें 
मांगे सदा ही खैर 

रूह के रिश्ते 
जो बिन बाँधे बंध जाते हैं 
बनता है अटूट बंधन 
फिर तोड़े कभी ना जाते हैं 
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Thursday, January 7, 2016

छल, कपट [दोहे]


फितरत में जिनकी कपट, छलते हैं हर रोज ।
चाहे गंगाराम हो, चाहे राजा भोज।|

गद्दारी है खून में, नियत सदा  नापाक ।
गले मिला घोंपी छुरी,देश पड़ोसी पाक।।


जयचंदों ने जब छला ,बेच दिया ईमान।
मातृभूमि पर मिट गए, मेरे वीर जवान ।।

ओढ़ तिरंगे का कफ़न,चले गए ये लाल।
कंगन,पायल, मेंहदी ,रोते करें सवाल।।

शान तिरंगे की लिए, खोये हमने वीर।
कहे मेंहदी हाथ में,दे दो अब शमशीर।।

सुता एक जवान की ,पूछे आज सवाल।
फौजी अपने देश का, क्यों हो सदा हलाल?

कर्ज उतारा देश का,देकर अपना खून
नमन करो औ' सीख लो ,मरने का जूनून ।।

Tuesday, January 5, 2016

रोया मंगलसूत्र है [ कुण्डलिया ]




रोया मंगलसूत्र है,रोया है सिन्दूर।
कंगन पायल पूछते,चले गए क्यों दूर।।
चले गए क्यों दूर,मेंहदी आज पुकारे
विरला वो जाँबाज , देश पे जाँ जो वारे
रोते हैं माँ, बाप ,बहन ने भाई खोया 
सरिता खोकर वीर, देश है सारा रोया ।।


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