हमराही

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Tuesday, October 28, 2014

तरही गजल

सितारों सी सजी राहें रिझाती हैं दिवाली में 
ख़ुशी की महफ़िलें जब खास आती हैं दिवाली में |

सिया औ' राम जो आए अयोध्या लौट कर तब से  
नगर गलियाँ मुंडेरें टिमटिमाती हैं दिवाली में |

दुआयें माँ हमेशा दे रही बच्चों को लगता ,जब 
फिजाएं नूर की चादर बिछाती हैं दिवाली में  |

पटाखों को नहीं कहकर, ख़ुशी से झूमते बच्चे  
सुरक्षा आदतें माएं सिखाती हैं दिवाली में |

रंगोली है सजी आँगन, दिये रोशन करें जीवन 
दियों के रूप में खुशियाँ ही आती हैं दिवाली में |

अँधेरा दूर कर मन का ,चले जो राह सच्ची हम
खुदा की रहमतें राहें दिखाती हैं दिवाली में |

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धूम्रपान [कुण्डलिनी]

धूम्रपान के रोग से तभी बचोगे यार 
वैधानिक चेतावनी जो ना हो बेकार 
जो ना हो बेकार अमल में इसको लाओ 
यह जीवन अनमोल ख़ुशी से इसे बिताओ
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Friday, October 24, 2014

आओ मिलकर दीप जलायें

आओ मिलकर दीप जलायें 
अंधकार को दूर भगायें


जगमग जगमग हर घर करना 
अन्धकार है सबका हरना 
अम्बर से धरती पर तारे 
साथ चाँद को नीचे लायें |

अंतर्मन का तमस हरेंगे 
कलुषित मन में प्रेम भरेंगे 
द्वेष,बुराई और वासना 
मिलकर सारे दूर हटायें |

उत्सव है यह दीवाली का 
सुख समृद्धि और खुशहाली का 
भेदभाव आपस के भूलें 
मन में शांति दीप जलायें |

दीपों की पंक्तियाँ जगाई 
धरती अपनी है चमकाई 
सद्ज्ञान के दीप जलाकर 
अंतर्मन का तिमिर मिटायें  |


आपस में सब भाई भाई 
खुशियाँ बाँटें और मिठाई 
दीवाली के उजियारे से 
हर कोना रोशन कर आयें |

लाया समय ख़ुशी की घड़ियाँ 
मन में फूटी हैं फुलझड़ियाँ 
दीन दुखी को गले लगाकर 
उनसे पा लो खूब दुआयें ||

Sunday, October 19, 2014

उत्सव[दोहावली]

उत्सव लाये हैं ख़ुशी,खूब सजे बाजार 
साथ मिठाई के सजे,भिन्न भिन्न उपहार  |

रंग रूप लेकर नए ,चमक उठे सब गेह  
उत्सव हैं सब गर्व के ,बाँटे खुशियाँ नेह |

उत्सव धनतेरस हुआ,त्रयोदशी के वार 
नूतन बर्तन हैं सजे ,और स्वर्ण बाजार |

छोटी दीवाली जले,यम दीपक हर द्वार 
मुक्त हुईं कन्या सभी,नरकासुर को मार |

उत्सव दीपों का सभी,मना रहे दे प्यार 
सबको बाँटे रोशनी ,दीवाली त्यौहार |

अन्नकूट उत्सव रचा, दीवाली पश्चात 
भोग लगा खायें सभी ,संग कढ़ी के भात  |

शुक्ल पक्ष की दूज है, बाँटे पावन प्यार 
उत्सव भाईदूज का, बहना करे दुलार  |

उत्सव भारत देश के, बाँटें केवल प्रीत 
झूम झूम नाचो सभी,गाओ उत्सव गीत |


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Wednesday, October 1, 2014

रामलीला

बचपन की रामलीला में
वो दूर पैदल चल कर जाना
वो गुलाबी ठंड का शुरू हो जाना
हल्की शाल,हल्की स्वेटर पहन जाना
वो बैठने का पटरा,वो पानी की बोतल 
वो बैठने का टाट घर से ले जाना
हर दृश्य से पहले किसी का नाच दिखाना
कभी चुटकले सुनाना,कभी कविता सुनाना
कलाकार का एक एक रुपये का इनाम पाना

आज की रामलीला का हाइटेक हो जाना
हवा में हनुमान का उड़कर जाना
हर दृश्य के बाद यूँ दृश्य दिखाना
स्लाइड शो जैसे रामलीला चलाना
बैठने के सोफे,स्टॉल्स का लग जाना
अब रामलीला देखने गाड़ी से जाना
वो मेले वो झूलों का यूँ सज जाना
कुर्सी पर बैठना,वो सब ख़रीदकर खाना
रामलीला पर लाखों लगाना
याद करा गया आज मंहगाई का बढ़ जाना