हमराही

सुस्वागतम ! अपना बहुमूल्य समय निकाल कर अपनी राय अवश्य रखें पक्ष में या विपक्ष में ,धन्यवाद !!!!

Thursday, February 27, 2014

शिवरात्रि दोहावली


फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी, महाशिवरात्रि पर्व 
उत्सव भारत देश का, हम सब करते गर्व 

फाल्गुन में शिवरात का, होता पर्व विशेष 
फुहार से रंगों भरी, मिटाओ गिले द्वेष 

मध्यरात अवतरित हो, धरा रूप सारंग 
सर्प हार डाले गले, रमे भस्म से अंग

रूद्र रूप को देख के, भर लो ह्रदय उमंग
मिलन दिवस शिव शक्ति का, लो मना प्रेम संग 

मिले सदा ही आपको, शिव का आशीर्वाद 
शिव के नित उपवास से, मिले दुआ प्रसाद 

 बेलपत्र धतूर से, करना कर्म विशेष 
महाशिवरात्रि पर्व की, शुभकामना अशेष 
...................................

Tuesday, February 25, 2014

मेरा विश्वास

जब सब कुछ था 
मेरे पास 
जो 
जीने के लिए काफी था
तुम्हारा प्यार, 
तुम्हारा साथ,
तुम्हारा समय 
तुम्हारा विश्वास 
हमारा साहस 
यही सब 
मेरी बहुमूल्य पूंजी थी 
वो 
उड़ान भरते  
सुनहरे सपने 
जो 
हम दोनों ने कभी देखे थे 
दुनिया 
अपने कदमों में थी 
तो किसकी लगी नज़र ?
जो छूटा ...
तुम्हारा प्यार 
तुम्हारा साथ 
क्यों रुकीं 
वो सांसें 
वो जिन्दगी 
टूटीं उम्मीदें 
टूटे सपने 
और 
साथ ही 
टूट गया 
मेरा भरोसा 
मेरा साहस 
शायद 
नहीं नहीं 
नहीं कभी नहीं 
खोयेगा 
मेरा धैर्य 
मेरा विश्वास 
नहीं टूटेगा 
मेरा साहस  
क्योंकि 
तुम 
हाँ तुम हो 
हमेशा मेरे साथ 
मेरी हिम्मत बन 
दोगे मुझे प्रेरणा 
आगे बढ़ने की 
..........................

मधुमास प्यार [कुण्डलिया]

आया जो मधुमास है मन में भरी उमंग 
प्यार हिलोरें ले रहा अब प्रीतम के संग / 
अब प्रीतम के संग उड़ी पतंग रंगीली 
खुश है वसुधा आज ओढ़ के चुनरी पीली
बौराए हैं आम गीत कोयल ने गाया 
ह्रदय भरा उल्लास ज्यों ही मधुमास आया // 
*****

Monday, February 24, 2014

डाली डाली [कुण्डलिया]

डाली डाली फूल हैं ,हरियाली चहुँ ओर   
रात सुहानी हो गई उजली है अब भोर /
उजली है अब भोर नभ निर्मल है भाया 
देख धरा शृंगार मनुज ह्रदय मुस्कराया 
खिले देखकर पुष्प ,ख़ुशी से झूमे माली 
करते हैं मधुपान ,भंवरे डाली डाली //
******

Sunday, February 23, 2014

जो छत हो आसमां सारा यहाँ ऐसा मकाँ इक हो [गजल]

दिलों में रंजिशें ना हों यहाँ ऐसा जहाँ इक हो  
जो छत हो आसमां सारा यहाँ ऐसा मकाँ इक हो |

नया हर जो सवेरा हो मिले सुख शांति हर घर में
मिटे ना वक्त के हाथों जो ऐसा आशियाँ इक हो |

बुराई ,लोभ ,भ्रष्टाचार, धोखा दूर हो कोसों 
हो केवल प्यार हर घर में बसेरा अब वहाँ इक हो |

मिले केवल सुकूं अब और हो मुस्कान होठों पर 
घुली मिश्री हो बातों में यहाँ ऐसी जुबाँ इक हो |

निशानी अब हसीं यादों की लम्हा लम्हा मुस्काये 
हों चर्चे कुल जहां अपने ही ऐसी दास्ताँ इक हो | 

नहीं कुछ चाहिए मुझको दे दो विश्वास तुम इतना 
गवाही माँगे जग सारा वहाँ तेरा बयाँ इक हो |

नहीं हो मनमुटा रखना निशानी प्यार ही केवल 
मिटे ना वक्त के हाथों जो ऐसा अब निशाँ इक हो |

*****

Tuesday, February 18, 2014

थोड़ा हँस लो थोड़ा गा लो [गीत]


आओ कुछ तो समय निकालो
थोड़ा हंस लो थोड़ा गा लो 

जीवन की आपाधापी में 
अपने पीछे छूट न जाएँ 
नन्हे सपने टूट न जाएँ 
जरा नया उत्साह जगा लो 
थोड़ा हंस लो..........

अपने हम से रूठ गए जो 
जीवन पथ पर छूट गए जो 
उनकी यादों से अब निकलो 
रूठ गए जो उन्हें मना लो 
थोड़ा हंस लो..........

देख समय ने करवट खाई
फिर क्यों है मायूसी छाई
दे दो गम को आज विदाई 
बुरे समय को हँस कर टालो 
थोड़ा हंस लो..........

दिल सच्चा हो ना हो झूठा 
कोई ना हो हमसे रूठा 
रिश्ता उपजे एक अनूठा 
दिल से अपनों को अपना लो 
थोड़ा हंस लो..........

बात करेंगे बात बनेगी
सारी दुनिया तुम्हें सुनेगी
नैया इक दिन पार लगेगी 
खुशियाँ बांटो खुशियाँ पा लो
थोड़ा हंस लो.......... 

अब समय ने ली अंगड़ाई 
क्यों है अब भी चुप्पी छाई
सबने किस्मत स्वयं बनाई    
अपनी किस्मत स्वयं बनालो 
थोड़ा हंस लो..........

जब कारवाँ छूट जाएगा  
स्वयं को अकेला पाएगा 
प्रभु नाम ही संग जाएगा
अपनी यात्रा सफल बनालो
थोड़ा हंस लो..........

Monday, February 17, 2014

दिल्ली मेट्रो [कुण्डलिया]

दिल्ली मेरी जान है, मेट्रो इसकी शान 
मेट्रो दुनिया है अजब, इसकी इक पहचान/ 
इसकी इक पहचान ,रिकॉर्ड स्पीड के तोड़े 
रेड ब्लू यलो ग्रीन औ' वायलट हैं दौड़े
गए जाम से छूट ,क्यों उड़ायें अब खिल्ली?
कर रही है विकास,हमारी प्यारी दिल्ली //
........................

कुण्डलियाँ ओ बी ओ छन्दोत्सव में


"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-35

पीटी करते हैं सभी नीली है पोशाक 
सारे बच्चे हैं खड़े एक रहा है ताक 
एक रहा है ताक पार है उसको जाना  
खेलें हैं जो खेल देख के उसको आना
शिक्षक हैं दो बीच एक बजा रहा सीटी 
दूजा देता सीख, करेंगे कैसे पीटी // 


भैया दीदी हैं खड़े नीला है गणवेश 
कुछ तो पहले से खड़े कुछ ने किया प्रवेश 
कुछ ने किया प्रवेश लगा है आना जाना 
इक नन्हा है बाल यहाँ है उसको आना 
शिक्षक देते सीख पार हो कैसे नैया
लेकर कलम दवात, मैं भी चलूँगा भैया // 

कसरत करते हैं सभी बूझें कई सवाल 
हसरत सीने में लिए एक खड़ा है बाल 
एक खड़ा है बाल दूर फैलाये बाहें 
लगता उसको खेल कठिन हैं लेकिन राहें 
बच्चे आयें स्कूल, ह्रदय में पाले हसरत  
बाल रहा है सोच खेल यह कैसा कसरत //
..............................

Sunday, February 16, 2014

मधुमास [कुण्डलिया]

छाया है मधुमास में कुदरत में भी प्यार 
पुष्प खिले हर डाल हैं खुश है आज बयार 
खुश है आज बयार वाटिका खिलके महकी 
कोयल गाये गीत चाल भौंरे की बहकी /
सरसों पीली देख किसान ह्रदय हर्षाया 
प्रेमदिवस है आज रंग बासंती छाया // 
***********

Friday, February 14, 2014

बासंती हाइकु

आया बसंत
निर्मल है आकाश 
दिल बसंत  


नभ विशाल 
सतरंगी पतंगें 
मन निहाल 


खिले हैं फूल 
रंगीन तितलियाँ 
प्रेम कुबूल 

धरा शृंगार 
कुसुमाकर आया 
पीले हैं हार 



नीला गगन 
रंगीला है चमन 
मन चंचल 

मन पतंगा 
इन्द्रधनुषी फूल 
बासंती प्यार 


मन के सच्चे 
रंगीन तितलियाँ 
प्रसन्न बच्चे 
....................

Thursday, February 13, 2014

जादू की जफ्फी [कुण्डलिया]



मिलना यारों को सदा गले लगाकर यार 
जादू की जफ्फी मिले बढ़ता इससे प्यार /
बढ़ता इससे प्यार यार के दिल में बसते
दुख होते हैं दूर खोल के दिल जो हँसते  
आया है मधुमास फूल के जैसे खिलना  
मानें रूठे मीत प्यार से सबको मिलना //
****

Wednesday, February 12, 2014

जागो [कुण्डलिया]

जागो प्यारे भोर में मन में ले विश्वास 
आस जगाती जिन्दगी करना है कुछ ख़ास /
करना है कुछ ख़ास मन में जगा लो चाहत 
करो वक्त पे काम मिले तनाव से राहत 
सरिता कहे पुकार नहीं मुश्किल से भागो 
पड़े बहुत हैं काम भोर हुई अभी जागो //
****

वादा [कुण्डलिया]

वादा झूठा मत करो मत छेड़ो जज्बात 
झूठ कभी टिकता नहीं करना सच्ची बात /
करना सच्ची बात, झूठ के पैर न होते 
कोशिश करना सीख,हार के क्यों हो रोते 
साथ झूठ का छोड़ बना के नेक इरादा 
सरिता करे गुहार ,तोड़ कभी नहीं वादा //
****

Saturday, February 8, 2014

मौत [कुण्डलिया]

डरना कैसा मौत से, यह तो सच्ची यार 
धोखा देती जिन्दगी , मौत निभाए प्यार /
मौत निभाए प्यार , साथ है लेकर जाती   
सबक जिंदगी रोज, नया हमको सिखलाती 
नेक मौत का काम, सबकी पीर को हरना 
सरिता कहे पुकार, मत तुम मौत से डरना //

*****

Friday, February 7, 2014

मन [ कुण्डलिया ]

मन के जीते जीत है ,मन के हारे हार 
मन को समझा ना अगर जीना हो दुश्वार/
जीना हो दुश्वार अगर मन दुख से भारी
सुख से पल संवार, कर के मन संग यारी
मन से कर लो प्रीत ,छोड़ो मोह अब तन के 
मन की ना हो हार ,प्यार के फेरो मनके//    
******

Tuesday, February 4, 2014

मधुमास दोहावली


शुक्ल पंचमी माघ से ,शुरू शरद का अंत 
पवन बसंती है चली, आया नवल बसंत 

ले आया मधुमास है, चंचल मस्त फुहार
पीली चादर ओढ़ के, धरा करे शृंगार 

रात सुहानी हो गई, उजली है अब भोर 
डाली डाली फूल हैं ,हरियाली चहुँ ओर 

निर्मल अम्बर है हुआ, पाया धरा निखार 
जर्रे जर्रे में बसा , कुदरत में है प्यार 

रंग बिरंगी तितलियाँ , मन में भरें उमंग 
प्यार हिलोरें ले रहा , अब प्रीतम के संग 

पेड़ आम के बौर से, इतरायें हैं आज 
मन को है भाने लगी, कोयल की आवाज 

नव पल्लव का पालना, झुला रहे सब पेड़ 
खुशियाँ चारो ओर हैं, चिन्ता दिए खदेड़ 

गेहूँ की हैं बालियाँ, खिलती जौ के संग 
कुसुमाकर है आ गया, मन में बजे तरंग 

सरस्वती को पूज के, बढे बुद्धि औ' ज्ञान 
स्मरण शक्ति भी तीव्र हो पा विद्या वरदान 

शुक्ल माघ की पंचमी, भरे ह्रदय उल्लास 
संयम सच औ' शील से ,मिले स्नेह विश्वास 
...............

Saturday, February 1, 2014

पूस की वो रात


ठिठुरते हुए तारे 
शांत माहौल 
आँख मिचौली खेलता  
बादलों के पीछे छिपा चाँद 
जिसे निहारते हुए
एकाएक खुशबु लिए 
एक हवा का झोंका 
तुम्हारे स्पर्श सा
छू गया मुझे 
पूस की वो रात  

लेटते हुए 
कभी इस करवट 
कभी उस करवट 
ह्रदय में हुआ कंपन 
आँखों से छलका प्रेम 
भिगो गया
मेरा तन बदन   
मेरा मन  
तन्हा गुजारते हुए 
पूस की वो रात

तुम्हारी छूअन से  
पूस की वो रात 
आत्मीय हो उठती 
खिल उठती मैं 
खुल जाते 
सब ह्रदय के द्वार 
दिल 
चहकता 
बहकता 
मचलता 
पूस की वो रात 
__________________________________

वो छूअन अब कभी नहीं होगी महसूस ....