हमराही

सुस्वागतम ! अपना बहुमूल्य समय निकाल कर अपनी राय अवश्य रखें पक्ष में या विपक्ष में ,धन्यवाद !!!!

Friday, July 24, 2015

अजनबी दोस्त

आओ फिर से अजनबी बन जायें हम दोनों 

दो अजनबी दोस्त fb के 
एक तुम जैसा... एक मुझ जैसा...
फिर से जाने कुछ अनछुये पहलु 
कुछ मेरे तुम...कुछ तेरे मैं...
बाँटे सुख दुःख को मिलकर 
कुछ मेरे तुम...कुछ तेरे मैं... 
बन जायें हर बात में सलाहकार 
कुछ मेरे तुम...कुछ तेरी मैं... 
बन जाओ फिर से प्राथिमिकता 
कुछ मेरी तुम...कुछ तेरी मैं...
हों एक कॉल की दूरी पर 
हाँ मेरी तुम... हाँ तेरी मैं...  
क्या किया सयाने होकर के 
कुछ मैंने खोया... कुछ तुमने खोया...

आओ दिल को समझें फिर से 
कुछ तुम जैसा...कुछ मुझ जैसा....
दें मिसाल अपनी दोस्ती की 
कुछ मेरी तुम...कुछ तेरी मैं...  
फिर से भूलें वो नाराजगी 
कुछ मेरी तुम...कुछ तेरी मैं...  
सुन लें अब कुछ अनकही 
कुछ मेरी तुम...कुछ तेरी मैं...
एक आत्मा फिर बन जायें अब 
हाँ मेरी तुम...हाँ तेरी मैं...
बन जायें अजनबी दोस्त फिर 
एक तुम जैसा..एक मुझ जैसा...
हां चाहिए फिर से दोस्त वही 
एक तुम जैसा ...एक मुझ जैसा 
*****

Thursday, July 23, 2015

तुम्हारा अहसास

बंद करो अपनी पलकें
रखो अपना दायाँ हाथ
बायें तरफ सीने पर
महसूस करो मुझे
अपनी धड़कन में
हर पल हर दम
साथ हूँ तेरे
पास हूँ तेरे
कितने विश्वास से कहते थे
जब भी
मन बहुत उदास होता
तुमसे मिलने को तड़प उठता
तुम ऐसे ही बहला देते हमेशा
तुम्हे याद है ना 'जाना '
मैं पगली
पलकें मूंदे
बैठी रहती
डरती थी
खो ना दूँ कहीं
तुम्हारे अहसासों को
...............................................
कब तक यूँही बहलाते रहोगे बाबू


Thursday, July 16, 2015

मिलन

मुद्दतों बाद
कल रात
बुलंदियों को छूती
खिलखिलाती
चहचहाती
एक शख्शियत से
मुलाकात हो गई
जो
खो गई थी कहीं
गुमनाम राहों में
जब
आइना बना जुबाँ
कर गया बयाँ
मेरी मुस्कराहटों की दास्ताँ
.....................................................
खुद से खुद का मिलन खुशगवार था


Wednesday, July 15, 2015

रिश्ते

रिश्ते खारे हो गए 
मिठास कहाँ से लाएं ?
कैसे कैसे जहर को 
अमृत हम बनायें ..
अपना कहते जो सभी 
झट से हुए पराये 
नए रिश्तों को कैसे समझें 
हमको कोई बताये ..
रिश्ते हैं अब 
थोड़े नमकीन 
थोड़े से हैं तीखे/फीके 
कैसे अपने बनें पराये 
इनसे आकर सीखें ..
इनके अपनेपन में 
अब न कोई दम है 
इसीलिए अब हर रिश्ते में 
चीनी थोड़ी कम है 
हाँ चीनी थोड़ी कम है ..
........................................................
रिश्ते कच्चे धागे हैं, इनको सुलझाने का 
हर संभव प्रयास जरूरी है ..

Tuesday, July 14, 2015

ईद ,रमजान

खुशियों की सौगात ले,आई है जो ईद 
बदली से चंदा निकल, सभी करेंगे दीद |

राम राम मैं भी कहूँ ,तू भी कह रहमान 
गले मिलो रोजा करो,आई है रमजान |

रोजा उसको तुम कहो ,या कह दो उपवास 
खुशियों के त्यौहार ही,लाते हैं दिन ख़ास |

कर्म मास है कर्म कर, व्रत करो सोमवार 
रोजा रख रमजान है ,करना फिर इफ्तार |

व्रत करो सोमवार के, खुश होंगे भगवान
रोजा रख इफ्तार दे,आया है रमजान |

करो इबादत आज सब ,खुशियाँ लाई ईद 
गले मिलो मिलजुल सभी,करो चाँद की दीद |

इफ्तारी के बाद ही ,सब बाँटो उपहार 
बीता है रमजान जो ,करो चाँद दीदार |

भाई चारा ही बढे, करना कर्म महान  
खुशियाँ सबको बाँटना,आया है रमजान |

पूरे रोजे जो हुए ,हुआ चाँद दीदार 
गले मिलो मिलजुल रहो ,सबको बाँटो प्यार |

बाँटो सब अब सेवियाँ, तोड़ा जो उपवास 
रोजे पूरे जो हुए ,मिले तोहफे ख़ास |
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Saturday, July 11, 2015

सावन के झूले [कुण्डलिया]

सावन के झूले हुए, सभी पुराने खेल 
व्यस्त सभी हैं नेट पर, करते हैं ई मेल |
करते हैं ई मेल, भूल के गिल्ली डंडा 
भूले कुश्ती ,दौड़,नेट का आया फंडा 
दिन भर करते चैट,सभी रिश्ते हैं भूले 
सरिता कहती झूल, लगे सावन के झूले ||
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Wednesday, July 8, 2015

बाँसुरी [दोहावली]

बन कान्हा की बाँसुरी, अधरों को लूँ चूम 
रस पी  कान्हा प्यार का ,नशे संग लूँ झूम ।।

ऐसा तेरी प्रीत का ,नशा चढ़ा चितचोर
अधर चूम के बाँसुरी ,करे ख़ुशी से शोर ।।

बन कान्हा की बाँसुरी, खुद पर कर लूँ नाज 
जन्म सफल होगा तभी ,छू लूँ उसकोआज ।।

नशा चढ़ा तेरी प्रीत का,नाचूँ झूमूँ आज 
कान्हा तेरी प्रीत की ,धुन से छेड़ूँ साज ।।

कान्हा तेरी बाँसुरी,बोले मीठे बोल
खुश हो नाचें गोपियाँ , बजते ताशे ढोल ।।

लाती कान्हा बाँसुरी ,मुखमंडल पर शान
कानों में रस घोलती, धुन तेरी की तान ||


तड़प रही है स्पर्श बिन,भूली सब सुध आज ।
ओंठ लगी जो बाँसुरी ,खुला मोह का राज ।।

सहता पीड़ा बाँस है ,बाँटे प्रेम अथाह 
राधा ,मीरा, गोपियाँ ,चाहें तेरी चाह ||

सफल हुई है बाँसुरी ,खुद पर करती नाज
अमर मान लो हो गई ,छूकर तुमको आज ।।

ओंठ चूम कर बाँसुरी ,इतराती है आज 
धुन पर कान्हा प्रीत की ,छेड़ेगी वो साज ।।

बाँस बाँसुरी का कहे ,करो ह्रदय में छेद
लेकिन अपनी प्रीत का ,दे दो कान्हा भेद ।।

छूकर तुझको बाँसुरी ,बाँटे प्रीत अथाह 
पशु पक्षी औ गोप सब तकते तेरी राह ||

धुन तेरी पर बाँसुरी ,छेड़े ऐसी तान 
मगन रहें सब मोह में, नहीं करें अभिमान||

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Thursday, July 2, 2015

ख्वाहिशें

कभी कभी
मेरे मन में
यूँ ख्याल आता है
OLX  कर दूँ
अपनी सब ख्वाहिशें
जो जुड़ी थीं सिर्फ तुम से
साथ ही OLX हो जाएँगी
सब उम्मीदें
जो जुड़ी थीं सिर्फ तुम से
बदल कर ले आऊँ
कुछ नई ख्वाहिशें
कुछ नई उम्मीदें
कहते हैं ना
' पुराना जायेगा
तभी तो नया आयेगा '
लेकिन फिर ...
रुक जाती हूँ
यह सोचकर
''Old is gold''
' नया नौ दिन
पुराना सौ दिन '
इसीलिये
आज भी जीती हूँ
उन्हीं अपनी पुरानी
ख्वाहिशों के संग
लिए उम्मीदों के रंग
पर
भूलती नहीं हूँ मैं
कुछ नए रिश्ते
नई ख्वाहिशें
नई उम्मीदें
add करना
अपनी " गुज़ारिश '' में
जो करती हूँ सिर्फ अपने कान्हा से
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