हमराही

सुस्वागतम ! अपना बहुमूल्य समय निकाल कर अपनी राय अवश्य रखें पक्ष में या विपक्ष में ,धन्यवाद !!!!

Tuesday, May 27, 2014

मतदाता [कुण्डलिया]

मतदाता बन तो गए किया नहीं मतदान  
मत की महिमा जान के काहे बने अनजान  
काहे बने अनजान समय की कीमत जानो 
करो सोच मतदान मोल मत का पहचानो 
करना मत तुम लोभ करो जो मन को भाता 
पहचानो अधिकार बनो निर्भय मतदाता 
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Monday, May 26, 2014

कामरूप छंद

आहत हुआ ज्यों , देश अपने , का है स्वाभिमान
टूटे हैं ख़्वाब , संग आँसूं , बह गए अरमान
भ्रष्टतंत्र अगर, ख़त्म हो जो, देश का हो मान  
अब है कामना , देश अपना ,विश्व की हो शान

लोकतंत्र पर्व ,आज जनता ,की बना आवाज
वोटर बनो तुम ,आज सशक्त, करो शुभ आगाज
नेता जो भ्रष्ट ,आज खोलो ,उन सभी के राज
चैन अमन ख़ुशी , देश में हो ,तभी मिले सुराज

दुष्ट भ्रष्ट सभी ,जेल भेजो ,बाँटते जो नोट
एक विकास के, नाम से जब, आज माँगा वोट
पूर्ण विकास कर ,ला सुशासन ,देना इक सौगात
कमल नया खिला ,ही रहे अब ,करना नेक बात  

Sunday, May 25, 2014

इंसान [कुण्डलिनी ]

मंदिर मस्जिद सोचते ,वो होते इंसान 
जात परिंदों की भली, देखें ना भगवान ||
देखें ना भगवान ,कहीं भी करें बसेरा
यह फितरत इंसान, सोच के डालें डेरा ||
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Thursday, May 22, 2014

चौपई छंद

ओबीओ ’चित्र से काव्य तक’ छंदोत्सव" 




लोकतंत्र का आया पर्व | करते सारे इस पर गर्व ||
आये नेता वादों साथ | छोड़ेंगे ना अब ये हाथ ||

राजनीति का चौसर खेल | सब फेंके पासा बेमेल ||
नेता सारे बोलें झूठ | पाँच बरस तक जायें रूठ ||

पत्ते फूल हुए बेजान | संग दराती तीर कमान ||
उस नेता को सौंप कमान | रखता जो जनता का ध्यान ||

उगता सूर्य हुआ है अस्त | हाथी घड़ी साइकल पस्त ||
छूटे पीछे चारों  हस्त | कमल खिले हैं छः छः मस्त || 

भारत माँ का एक नरेन्द्र | राजनीति का बना नगेन्द्र ||
मिला राजपद ज्यों हो इंद्र | चमका बन पूनम का चंद्र ||

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Wednesday, May 21, 2014

नेता जी

जन जन का उद्धार करेंगे
बेड़ा सबका पार करेंगे 
बोले तो नेता जी 

बोलेंगे वो मीठी भाषा 
लोग लगा बैठे हैं आशा 
बोले तो नेता जी 

घर घर जाकर माँगे वोट 
मंहगाई पर करेंगे चोट 
बोले तो नेता जी 

धारते मनभावन आखेट 
कहें मिलती रोटी भरपेट 
बोले तो नेता जी 

सफ़ेद वस्त्र हैं काले धन्धे 
इनके दिन ना बीतें मंदे 
बन गए नेता जी 

नेता जी की नहीं जुबान 
इनके हाथ में देश की आन 
बन गए नेता जी 

घर अपने का हुआ उद्धार 
अपनों का किया बेड़ा पार 
बन गए नेता जी 

ले लिया वोट देकर नोट 
मन में भरा था इनके खोट 
चले गए नेता जी 

पाँच बरस तक कर इंतज़ार 
सहना अब मंहगाई की मार 
चले गए नेता जी 

किया कोई ना वादा पूरा 
हर सपना छोड़ा अधूरा 
चले गए नेता जी 
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Monday, May 19, 2014

मोदी [ दोहावली ]

सोलह सोलह सब करें, सोलह आई यार 
अच्छे दिन लो आ गए, अब ख़त्म इंतज़ार ||

मोदीमय भारत हुआ, मोदीमय हर चाह 
मोदी जी अब आ गए, सरल बनेगी राह ||

मोदी की चलती हवा, मोदी का तूफान 
मोदी की बहती लहर, लाई सब में जान ||

अच्छे दिन लो गए, अब कैसी तकरार 
सबकी है यह कामना, हो मोदी सरकार ||

मोदी सूरज है उदय, अब मोदी सरकार 
अच्छे दिन हैं आ गए, बेड़ा होगा पार || 

भारत माँ के पूत का, आज दिवस है ख़ास 
विजय नगाड़ा है बजा, मिला बहुत विश्वास ||

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Thursday, May 15, 2014

माँ [दोहावली]

माँ में पूजा अर्चना ,माँ में समझ अजान 
माँ में तेरा है खुदा, माँ में है भगवान ||

माँ में गीता है बसी ,माँ में बसा कुरान  
माँ में सारे धर्म हैं ,माँ में सब भगवान ||

माँ समझे तेरी ख़ुशी, माँ ही समझे पीर 
माँ के नैनों से बहे, केवल ममता नीर ||

बच्चे होते हैं सबल, जो माँ का हो साथ 
मिलता मनचाहा अगर, सिर पर माँ का हाथ ||


माँ मूरत भगवान की, इसका सुंदर रूप 
माँ है छाया पेड़ सी, लगने ना दे धूप ||

माँ का हँसता चेहरा, ह्रदय भरे उल्लास 
माँ की ममता से सदा, बढ़ता है विश्वास ||

मंदिर मस्जिद ढूंडता, फिरता है हर द्वार 
सुख है माँ की छाँव में, करती नैया पार ||


Wednesday, May 14, 2014

मौसम

आज फिर दिल्ली ने 
काश्‍मीर संग अपना 
वादा निभाया है/

मीठी मीठी बारिश 
के संग धूल भरा 
तूफान भी आया है/

हुआ है दिल्ली का 
मौसम भी कुछ इस कदर 
काश्मीर सा सुहाना/

गलियों में कीचड़ को 
छोड़ो यारो 
बस ठंडी हवाओं का आनंद उठाना
....................................सरिता...............................................

धड़कन [दोहावली]


दिल पर काबू ना रहे मिल जाते जो नैन 
धड़कन धड़कन से मिले दिल को मिलता चैन |

दिल की यह मजबूरियाँ समझे कोई ख़ास 
धड़कन बढ़ जाती अगर आता है वो पास |

तेरी धड़कन के बिना मेरी भी बेकार 
दोनों की मिलती अगर नैया लगती पार |

तेरी धड़कन के सिवा कुछ भी ना अनमोल 
सूना है सारा जगत इसका क्या है मोल |

धड़कन से चालू हुआ धड़कन पर सब बंद 
मोल समय का जान लो यह इसकी पाबंद |

धड़कन चलती है अगर जीने की हो आस 
अपनों का जो साथ हो बढ़ता है विश्वास |

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Monday, May 12, 2014

आओ मिलजुल देश सँवारें


आओ मिलजुल देश सँवारें 
हर पल हर दिन इसे निखारें  

इस बगिया के हम सब फूल 
सुनो नहीं तुम जाना भूल 
प्रेम से मिलकर समय गुजारें   

भेदभाव ना तुम अब जानो 
सबको भाई अपना मानो 
एक माली सा उन्हें निहारें 

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई 
आपस में सब भाई भाई 
अत्याचारी को ललकारें 

नेता बन गए हुए महान 
सो गए अब तो लम्बी तान 
ऐसे नेता को दुत्कारें  

राम कृष्ण की करो पहचान 
यह दोनों हैं हिन्द की शान 
रावण कंस सभी को मारें 

प्रेम की बहे अविरल धारा 
सौंप देश को जीवन सारा 
मन को जीत अहम को हारें 


Friday, May 2, 2014

मत ,मतदाता [कुण्डलिया]

मतदाता बन तो गए किया नहीं मतदान  
मत की महिमा जान के काहे बने अनजान  
काहे बने अनजान समय की कीमत जानो 
करो सोच मतदान मोल मत का पहचानो 
करना मत तुम लोभ करो जो मन को भाता 
पहचानो अधिकार बनो निर्भय मतदाता 
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