हमराही

सुस्वागतम ! अपना बहुमूल्य समय निकाल कर अपनी राय अवश्य रखें पक्ष में या विपक्ष में ,धन्यवाद !!!!

Saturday, August 30, 2014

बेटे हर्ष को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ


जन्मदिवस पर आपके, देते आशीर्वाद 
खुशियों से झोली भरे, रहो सदा आबाद | 

रहना दूर बुराई से, करना अच्छे काम 
करना जग में तू सदा, अपना ऊँचा नाम |


क्रोध द्वेष से दूर रह, करना सबसे प्यार 
तेरे जीवन में सदा , छाई रहे बहार |

वाणी तेरी शहद सी , और मधुर मुस्कान 
छोटा हो या हो बड़ा , सबको देना मान |

जीवन के संग्राम में, रहो सदा खुशहाल 
हर्ष ह्रदय तुम जीतना, करना सदा कमाल |
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Wednesday, August 27, 2014

धड़कन [कुण्डलिनी]

धड़कन से चालू हुआ ,धड़कन पर सब बंद 
मोल समय का जान लो ,यह इसकी पाबंद 
यह इसकी पाबंद ,आस जीवन की बनती
नैया लगती पार ,अगर है धड़कन चलती 
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Monday, August 25, 2014

सीख दोहावली

द्वेष,बुराई,दुष्टता ,न ही हो अनाचार
भेदभाव नफरत मिटे ,करो सभी से प्यार ||  

आजादी के बाद भी, ख़त्म हुई ना जंग 
गुंडागर्दी है बढ़ी ,दानव फिरें दबंग ||

काम,मोह,मद,लालसा,फैला भ्रष्टाचार 
मानव दानव है बना ,करता अत्याचार ||

देश प्रेम की भावना, होगी तब साकार 
दूर हटे जब दीनता ,सपने लें आकार ||

बिजली पानी झोंपड़ी ,इसकी है दरकार
पेट भरे हर एक का, तभी सफल सरकार ||
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Friday, August 22, 2014

आपकी नजर


कभी रहते थे जो मस्त मस्त 
अब रहने लगे हैं व्यस्त व्यस्त 
वो बना रहे अब दूरी हैं 
या यह उनकी मज़बूरी है 
उनके लिए शायद जो छोटी सी बात है 
मेरे लिए तो यह एक बड़ी करामात है 
ना वो समझें ना मुझे समझ आये 
इसका क्या हल है कोई तो बताये 

Monday, August 18, 2014

जन्माष्टमी दोहावली 2

कृष्ण पक्ष की अष्टमी ,मध्यरात का काल 
मथुरा में पैदा हुआ ,मोहक छवि का बाल ||

कृष्ण लला की झाँकियाँ ,करती भाव विभोर 
आई जो जन्माष्टमी ,धूम मची चहुँ ओर ||

विष्णु जी बाद आठवें ,कृष्ण हुए अवतार 
ब्रज भू पर अवतरित हो, दिया कंस को मार ||

वासुदेव के पूत थे ,पले यशोदा धाम  
तारे सबकी आँख के,कृष्ण रखा था नाम  ||


दोस्त सुदामा कृष्ण से ,बनते सदा मिसाल 
भेदभाव सब दूर हों ,होता तभी कमाल ||

कृष्ण बचाने द्रौपदी ,अब तो लो अवतार 
दुशासन हैं,गली गली , करते अत्याचार ||

युग पुरुष श्री कृष्ण थे, योगी एक महान 
तारा मानव जाति को, दे गीता का ज्ञान ||

अर्जुन के बन सारथी ,दिया उसे निर्देश  
दूर किये संशय सभी, दे गीता उपदेश ||
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Friday, August 15, 2014

आजादी दोहावली


श्वेत, हरा औ केसरी, भारत माँ की शान 
आन, बान यह देश की, बसी इसी में जान ||

लिए तिरंगा हाथ में , निकला है नादान 
मैं किसी से कम नही, दूंगा मैं बलिदान ||

लहराता झंडा भरे , मन में नई उमंग 
उन्नति,शान्ति,एकता ,दर्शाते ये रंग ||

देश प्रेम की भावना, लेगी जब आकार 
दूर हटेगी दीनता , सपने हों साकार ||

ध्वजा हाथ में देश की, भीतर यह अहसास 
कामयाब होंगे सभी, मन में दृढ़ विश्वास ||
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Wednesday, August 13, 2014

कुछ ऐसे भी दोस्त

अगर तुमने किया होता मुझसे सच्चा प्यार
बिन सोचे ही अपना जीवन देते मुझ पर वार
यह प्यार इक बहाना था
तुझको मेरे पास आना था
इसलिए तुमने मेरी भावनाओं संग खेला
मतलब ना निकलने पर छोड़ा मुझे अकेला
दोस्त खुद को कहकर भी दुश्मनी खूब निभाई है
जिसको कभी ना हम भूलें ,की ऐसी बेवफाई है
तेरे दिए वचनों को हम जाएँ कैसे भूल
इस दुनिया में मिलते नहीं हैं काँटों के बिना फूल
माना की कहा था ,पग पग चलेंगे साथ
सुख दुःख जैसे भी आये ,छूटेगा ना हाथ
जात से खुद को कहते तुम इंसान हो
दोस्त तुम महान हो
दोस्त तुम महान हो 

Thursday, August 7, 2014

कह मुकरिया

41.
साथ हमेशा मेरे आता 
अंधकार से डर छुप जाता 
देखो उसकी अद्भुत माया
क्यों सखि साजन ?
ना सखि साया 
42.
यौवन आते लगे जरूरी 
सह ना पाती उससे दूरी 
मुझको मिला वो ज्यों वरदान 
क्यों सखि साजन ?
नहीं मतदान 
43.
करता सभी की भूल सुधार 
सबको उससे हो गया प्यार 
ख़ुशी सदा दे जाता है वो 
क्यों सखि साजन ?
ना ओ बी ओ  
44.
सांझ सवेरे एक ही काम 
जपती रहती उसी का नाम
जीवन लागे उस बिन दुश्वर   
क्या सखि साजन ?
ना सखि ईश्वर 
45.
सोते जगते संग जरूरी 
उससे हो जाये जो दूरी  
जीवन आये फिर न रास 
क्या सखि साजन ?
ना सखी श्वास
46.
दिन रैना वो चैन चुराये  
पास गई तो प्यास बढ़ाये 
दूरी देख दिखाये नरमी 
क्या सखि साजन ?
ना सखि गरमी 
47.
कहें उसे किस्मत का मारा 
हर जीवन उसने संवारा 
बिन पैसे दिखता मजबूर 
क्या वही गरीब ?
नहीं मजदूर 
48.
मिले किसी को यह ना मोल 
इसे ना कोई सकता तोल 
जितना बांटो उतना बढ़ता 
क्या सखि प्यार ?
ना री ममता 
49
उसके आने का इंतज़ार 
करती रहूँ मैं बारम्बार 
हिया धड़काये उसका नाम 
क्या सखि साजन ?
ना परिणाम 
50
सपने सच वो करने आये 
सबके मन में घर कर जाये
राजनीति का बना नगेन्द्र 
क्या सखि नेता?
ना री नरेन्द्र  

क्रमशः ....

Tuesday, August 5, 2014

तक़दीर

कभी कभी
सोचती हूँ मैं
जब हाथ भरा है लकीरों से
तो कुछ तो मतलब होगा
हरेक के कोई मायने होंगे
कौन कौन सी लकीर किस किस तक़दीर के नाम
यह तो बताये कोई
मुझे समझाए कोई
सुना था
हाथों की चंद लकीरों का
यह खेल है बस तकदीरों का
अपने हाथ में लकीरें तो बहुत हैं
पर तक़दीर शायद रूठ गई है
आप ठीक कहते थे
बदल जाती हैं तकदीरें
अगर मेहनत से हाथ की लकीरें बदल दी जाएँ
इसीलिए करती हूँ कोशिश
चमकाने की उन लकीरों को
अपनी हिम्मत से ,
मेहनत से ,
जज्बे से
.......................................................................
जो मिलता है मुझे अपनों से