हमराही

सुस्वागतम ! अपना बहुमूल्य समय निकाल कर अपनी राय अवश्य रखें पक्ष में या विपक्ष में ,धन्यवाद !!!!

Monday, August 31, 2015

एक चुटकी सिन्दूर

मेरा अहसास
मेरा विश्वास 
मेरा सम्बल
मेरी पहचान 
मेरी कीमत
मेरी शोहरत
मेरा वजूद 
मेरा गुरूर
मेरी जमीं 
मेरा आसमां
मेरा हौंसला 
मेरी उड़ान 
मेरा सुकून 
मेरा सुख चैन 
मेरा रक्षाकवच 
मेरी आत्मनिर्भरता 
मेरे सिर का ताज 
था केवल 
एक चुटकी सिन्दूर 
...........................................
तुम क्या जानो इसकी कीमत 
इसके बिन कुछ भी नहीं 

Sunday, August 30, 2015

हर्ष के जन्मदिन पर सप्रेम [दोहे]

खुशियों से दामन खिला, हुआ सुखद अहसास 
हर्ष जन्मदिन आपका, ममता का दिन ख़ास ||
सुख से बीती रैन है ,खुशियाँ लाई भोर 
ममता बंधन प्रेम का ,यह है पक्की डोर ||
नाम ऊँचा जग में करो ,बनी रहे यह शान 
खिलते पुष्पों की तरह, खिले सदा मुस्कान ||
ईश्वर का तुम साथ ले ,करना सदा कमाल 
मिले दुआयें आपको ,रहो सदा खुशहाल |
हर मुश्किल आसान हो ,पाकर सबका साथ 
आगे बढ़ते ही चलो ,लिए हाथ में हाथ ||







30 अगस्त,2015.



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Tuesday, August 25, 2015

आरक्षण [दोहे]


आरक्षण की मांग ले ,आया पाटीदार 
साथ युवाओं को लिया ,बना आज सरदार ।
आरक्षण तो चाहिए ,कहता एक पटेल
सकते में सरकार भी ,बना रहा है रेल |
हमें हमारा चाहिए ,हक़ से सब सम्मान 
वरना आता छीनना ,जागा हिंदुस्तान |


भीख नहीं हक़ माँगते ,कहता एक पटेल
खेलो नेताओ नहीं ,अभी सियासी खेल |
सिख ,ईसाई ,जैन या ,मुस्लिम, पाटीदार 
आरक्षण सब को मिले,मगर आय अनुसार | 

Monday, August 24, 2015

साथी तेरे नाम ...

बंदिशों ने जो काटे हैं पर तेरे,
हौंसले कोई नहीं ले सकता तेरे |
अपने परों से तेरी मैं उड़ान भरूँ ,
मुश्किल तेरी मैं यूँ आसान करूँ |



तेरी ख़ामोशी को मैं अल्फाज दे दूँ ,
तेरे गीतों को अपनी आवाज दे दूँ |
सुर तेरे हों तो ताल मेरी हो ,
सीना तेरा हो तो ढाल मेरी हो |
तेरे हाथ में मेरा हाथ रहे , 
सदा तेरा मेरा यूँही साथ रहे |
..........................................................
साथी तेरे नाम एक दिन जीवन कर जायेंगे ..

सिलसिला यह तोड़कर ...

मुँह मुझसे मोड़ कर 
आज जिस मोड़ पर 
चल दिए हो छोड़कर 
जायें तो कहाँ जायें 
सिलसिला यह तोड़कर

देखा जो सपना
हुआ नहीं अपना
रास्ते यूँ मोड़कर 
जायें तो कहाँ जायें 
सिलसिला यह तोड़कर

प्यार सच्चा जानकर
तुम्हे अपना मानकर
यादों को जोड़कर 
जाएँ तो कहाँ जायें
सिलसिला यह तोड़कर

किस्मत जो रूठी
ख्वाहिशें सब टूटी 
माँझी गया छोड़कर
जायें तो कहाँ जायें 
सिलसिला यह तोड़कर

छूटा जब सहारा 
दूर था किनारा 
जीवन नैया मोड़कर
जायें तो कहाँ जायें 
सिलसिला यह तोड़कर
.....................
यूंहीं चलता रहे सिलसिला यह प्यार का 
4अगस्त 2015, 3.30pm

Sunday, August 9, 2015

मेरी तन्हाई

तुम आये थे 
दस्तक दी थी 
मेरे दिल के दरवाजे पर
कैद थी मैं 
खुद के बनाये उसूलों में 
जिम्मेदारियों की बंदिशों में 
खुल ना पाया मुझसे
ख्वाहिशों का किवाड़ 
सुना ना पाई तुझे 
अधूरी गुजारिशें 
गुजर गया 
वो ख्वाबों का कारवां 
आज फिर से 
खड़ी हूँ 
दोराहे पर 
इंतज़ार में
किसी दस्तक के 
मैं और मेरी तन्हाई .....

Saturday, August 1, 2015

कलाम दोहावली

कहो मिसाइल मैन तुम ,चाहे कहो कलाम
सारी दुनिया कर रही ,उनको आज सलाम || 

सादा उनका वेश था, मुखड़े पे मुस्कान 
दुनिया झुकती है अगर ,कर्म बनें पहचान ||

जीवन में करते चलो,अंतिम क्षण तक काम 
जैसे वीर कलाम ने, किया न कभी विश्राम ||

जीवन था सादा सरल,मन में उच्च विचार 
भेदभाव से दूर रह, पाया सबसे प्यार ||

सच्चा था इन्सान जो,कहते उसे कलाम
भारत माँ का है किया ,जग में ऊँचा नाम ||

कहें मिसाइल मैन को ,भारत रत्न कलाम 
पाकर इस सम्मान को ,अमर किया खुद नाम ||

एक सलामी आखिरी, देने को बेताब 
भारत माँ के पूत को, उमड़ा है सैलाब ||
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