हमराही

सुस्वागतम ! अपना बहुमूल्य समय निकाल कर अपनी राय अवश्य रखें पक्ष में या विपक्ष में ,धन्यवाद !!!!

Friday, April 24, 2015

क्षणिकाएँ

जिंदगी के थपेड़ों ने
जब भी थका दिया मुझे
आ बैठी मैं
यादों के बरगद की छाँव में
सहलाया मुझे यादों ने
दे गईं
मन को असीम सुकून
आँखों से बहती पीर
..................
गिरगिट की तरह बदलती
मानवी संवेदनायें
कर जाती
मन को घायल
सुकून मिलता केवल
तेरी यादों की मरहम से
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Friday, April 17, 2015

फिसल रही है जिंदगी

बढ़ रही हैं इच्छाएं 
अमर बेल की मानिंद 
पिघल रही हूँ मैं 
ग्लेशियर की मानिंद 
फिसल रही है जिंदगी 
रेत की मानिंद 
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Wednesday, April 15, 2015

तेरी यादों का कारवाँ

जिंदगी के सफ़र में अकेली नहीं हूँ मैं ,
मेरे संग संग चलता है तेरी यादों का कारवाँ ....

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Monday, April 13, 2015

सपने देखना मत छोड़िये

भूली नहीं हूँ मैं 
तेरे सीने पर मेरा सर 
वो तेरा हौले हौले 
मेरे बालों में उँगलियाँ फेरना 
मेरी उदास आँखों में 
उम्मीद के रंग भरना 
मेरे दर्द को पी जाना 
अपने लबों से 
फिर....
एक सन्नाटा 
और खो जाना तेरा 
गुमनाम अंधेरों में 
वो चुप्पी साध लेना तेरा  
तबाह कर गया मुझे 
तेरा जानलेवा 
इकरार कभी  
इंकार कभी 
इश्शश .....
तेरा लेना मुझे 
अपनी आगोश में 
मेरी वो झूठी नाकाम छटपटाहट 
उस गिरफ्त से निकलने की 
कर जाती मेरी निद्रा को भंग 
देकर एक असहनीय चोट 
मेरे उस दुस्साहसी स्वप्न को 
दिखाते हुए  
मुझे आइना 
वास्तविकता का 
क्योंकि 
वो तो केवल एक अहसास था 
जो पल भर के लिए आया.....
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सपने देखना मत छोड़िये 
भगवान के घर देर है ,अंधेर नहीं ....
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Sunday, April 5, 2015

सुलझाऊँगा तेरी जुल्फें

तेरा यह कहना 
''संवारुंगा तेरी तकदीर ...
फुर्सत मिली 
तो
सुलझाऊगा तेरी जुल्फें 
एक दिन 
अभी उलझा हूँ मैं 
वक्त को जरा सुलझाने में |"
मुझ पागल को देखो 
तबसे ही हूँ इंतज़ार में 
अनसुलझी जुल्फें लिए 
जो हो गई हैं बेतरतीब 
मेरी तकदीर की मानिंद 
संवरने के लिए बेताब 
तेरे हाथों 
मेरे बुद्दूराम
जबकि 
पता है मुझे 
ख़त्म नहीं होती कभी 
इंतज़ार की घड़ियाँ 
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जब तक साँस तब तक आस