हमराही

सुस्वागतम ! अपना बहुमूल्य समय निकाल कर अपनी राय अवश्य रखें पक्ष में या विपक्ष में ,धन्यवाद !!!!

Wednesday, October 28, 2015

नवरात्रि दोहावली 2.


भाग 1.

पंचम दुर्गा रूप को ,कहें स्कन्ध की मात।
मोक्ष द्वार होता सुलभ,दर्शन जब हो जात।।
मानव चोला है कठिन ,करना नहीं ग़ुरूर।
उपासना माँ की करो,यश बल मिले जरूर।।




छठा रूप कात्यायनी ,करो प्रेम से भक्ति।
रोग द्वेष को नष्ट कर ,देती है माँ शक्ति।।
माँ के शक्ति रूप का,करो ह्रदय से ध्यान।
मनोकामना पूर्ण हो ,मिले मान सम्मान।।



कालरात्रि माँ सातवीं ,करे काल का नाश।
फलित होय शुभ साधना,भय का होय विनाश।।
रंग बिरंगी चुनरियाँ ,सजा हुआ दरबार।
वैर भाव को छोड़कर ,पा लो माँ का प्यार।|



रूप महागौरी धरा ,वर्ण पूर्णता गौर।
संभव होते कार्य सब,जब पहुँचें माँ ठौर।।
माँ चरणों में बैठकर ,शुरू किये उपवास।
देना आशीर्वाद माँ ,आया तेरा दास।।
...........................................



नवरात्रि दोहावली 1.

रूप शैलपुत्री धरो ,मात विराजो आज।
मन से करते अर्चना , पूरण करना काज।।
प्रथम दिवस नवरात्र का ,आश्विन का है मास ।
तन मन निर्मल नित करो,शुरू हुए उपवास।।


माँ दुर्गा का दूसरा, ब्रह्मचारिणी रूप।
फूल चढ़ा अर्चन करो , लिए साथ में धूप।।
निर्मल चित से ध्यान कर ,लो चरणों की धूल।
सभी दुआयें आपकी, मैया करे कुबूल।।

दुर्गा जी का तीसरा , उज्ज्वल हैअवतार।

अर्ध चंद्र माथे सजा,घंटे काआकार।।
दमक रही माँ चमक से ,अद्भुत माँ का रूप।
मुक्त रखे हर कष्ट से ,माँ का शांति स्वरुप।।



करो शक्ति आराधना,शोक रोग हों नष्ट।।

कूष्माण्डा देवी हरे ,सब जीवन के कष्ट।
बुरे विचारों का सदा ,करो मनुज उपवास।
अच्छाई की होड़ कर,बनना माँ का दास।।

Monday, October 12, 2015

सत्यमेव जयते


सत्यमेव जयते हैं कहते, यह भाषा क़ानूनी है 
आँखों पर पट्टी बाँधे हैं ,सत्य चढ़ा हुआ सूली है  |
बिन देखे बिन तोले देखो माप रहे हैं सत्यता 
सत्य पाने खातिर कहते साक्ष्य बहुत जरुरी है | 
साक्ष्य देखन वास्ते देवी पहले आँख की पट्टी खोलो
तराजू में तोल बराबर सत्यमेव की तब जय बोलो |
सारे दावे सारे गवाह ही झूठे तब कहलाते हैं 
खुले पोल जब झूठ की औ सच्चे विजय जब पाते हैं |
देवी पट्टी खोलो तब ही सत्य बनेगा आँख और कान 
वर्ना सत्य की नींद उड़ेगी झूठ सोयेगा लम्बी तान |
सत्यमेव जयते कहो तुम सत्य की ही होगी जीत 
भले बीत जायेंगे बरसों जीत मिलेगी पक्की मीत |
13 सितम्बर,2014

Friday, October 9, 2015

बेटे अभिषेक के जन्मदिवस पर सप्रेम दोहावली

एक बरस के बाद फिर, अक्टूबर  का मास।

जन्मदिवस पर आपके ,खुशियाँ लाया खास।।

रहो दुआओं में सदा , पाओ आशीर्वाद ।
खुशियों से झोली भरे,रहो सदा आबाद।।

माँ की ममता का मिले ,उचित तभी ईनाम ।
कुल के दीपक तुम बनो ,करो जगत में नाम।।
माँ बेटे का इस जग में ,बन्धन है बेजोड़ ।
ईश्वर आशीर्वाद लो ,नमन करो कर जोड़।।





पुलकित ,गर्वित, मानसी ,हर्ष ,अकुल के साथ।
चलो सदा 'अभिषेक' तुम,थामे उनका हाथ।।
मुस्काते रहना सदा , तुम जीवन पर्यन्त।
सुखों की बरसात हो और दुखों का अंत ।।




*****


Thursday, October 8, 2015

समय [दोहावली]

सुख में देते साथ सब ,दुख में तोड़ें प्रीत |
दुख में देते साथ जो ,वो ही सच्चे मीत ||

जीवन में रहता नहीं ,समय सदा अनुकूल |
धीरज धरना तुम अगर, समय मिले प्रतिकूल ||

समय फिसलती रेत है, मुट्ठी चाहे बंद 
हाथ धरे बैठा रहा, किन्तु समय पाबंद ||

दिन बदले है समय से ,रात समय अनुसार 
नफरत बाँटे यह कभी, कभी बाँटता प्यार ||