हमराही

सुस्वागतम ! अपना बहुमूल्य समय निकाल कर अपनी राय अवश्य रखें पक्ष में या विपक्ष में ,धन्यवाद !!!!

Tuesday, February 26, 2013

''... इंतज़ार ...''





कैसे न करें हम उनका इंतजार ,
सुना है वो हमारा शिद्दत से इंतज़ार करते हैं!

कहते हैं सब्र का फल मीठा होता है,
इसलिए उनसे मिलने का सब्र हम हर बार करते हैं!

वो कहते हैं सपनों में आना ज़रूर,
हम भी वादा उनसे मुलाकात का बार बार करते हैं! 

वो कहते हैं हमारी मुस्कान से हैं धड़कनें उनकी,
हम  भी मुस्करा कर उनके दिल को गुलज़ार करते हैं!! 

Friday, February 22, 2013

'...सूचना...'


शुभम दोस्तों ...




मेरी रचना 'आम आदमी कि व्यथा ' शोभना ब्लॉग 



रत्न पुरस्कार के लिए चयनित हुई है आप इसे like 



कर अपने शुभ विचार अवश्य रखें ,धन्यवाद ! 

 http://www.saadarblogaste.in/2013/02/8.html

Thursday, February 21, 2013

''..महाकुंभ..''


महाकुंभ का देखो कैसा मेला
इलाहाबाद में दुनिया का रेला



कुंभ में संस्कृति की झलक देखो
थम जाएँ साँसें जो अपल्क देखो

हो कोई पूर्ववासी या पश्चिम से आया
संगम में जाकर सबने डुबकी लगाया

बढ़ी अद्भुत है यह अखाड़ों की दुनिया
अटल है यह अपने संस्कारों की दुनिया






कोई वस्त्र त्यागे,कोई नाख़ून बढ़ाए
कैसे कैसे बैठे हैं ये रूप अपनाए

शिव की जटाओं से गंगा जैसे बहती
इनकी जटाएँ क्या क्या कहानी कहती




इतने बढ़ जाएँ पाप जब धरती बोझिल हो जाए
पूरी धरती एक दिन कहीं ना गंगा में समा जाए


''महाकुंभ'' का मेला हर साल आना चाहिए
ऐसे ही सही धरती का बोझ तो हटाना चाहिए


Monday, February 18, 2013

!!..'बचपन सुरक्षा' एवं 'नारी उत्थान' ..!!


कलेजे के टुकड़े को 
सड़क पर छोड़,
सफेद फटी साड़ी में, 
अपनी अस्मिता समेटे
एक पत्थर तोड़ती माँ!




पेट की अग्नि शांत करने को,
चिथड़ों में लिपटे, 
कूड़ा बीनते, 
दो छोटे बच्चे.





कह गये ...
सरकार द्वारा चलाए अभियान की,
अनकही 
'बचपन सुरक्षा',
'नारी उत्थान' 
की कहानी,
अपनी इस तस्वीर की ज़ुबानी
...........................................

Thursday, February 14, 2013

''बसंत है आया''


                                          ए माँ शारदे,हम सबको ऐसा वर दो,
                                          खुशियों से सबका घर तुम भर दो!
       



                                             श्वेत वरण में कमल पर विराजे,
                                             हमारा भी मन कमल सा खिला दे!

                                             धरती ने ली है पीली चादर ओढ़,
                                             मोर की सवारी में लगे तू बेजोड़!

                                           सतरंगी पतंगो का गगन में विस्तार,
                                            बच्चों के मन में लाए उमंगें अपार!

                                            वीणा से प्यार की 'सरिता 'यूँ बहा दो,
                                            उज्ज्वल भविष्य कर जीवन महका दो!

                                            बुद्दि से प्रखर कर अहम को मिटा दो,
                                            विद्द्या का दान देकर बुराइयाँ हटा दो!
   
                                            पीले वस्त्र पहन,सब पीला प्रसाद खाएँ,
                                            सरस्वती की पूजा कर,खुशियाँ मनाएँ!
     





                                       'बसंत है आया' तुम भी गुलाब ले आओ,
                                       बसंत संग तुम भी'वेलिंटाइन डे'मनाओ!!

Wednesday, February 13, 2013

मौसम है आशिकाना.............


मौसम है आशिकाना,जो तुम आज आते, तो बात बनती
भँवरा है दीवाना ,जो फूल सा मुस्कराते, तो बात बनती





गुलाब के साथ अगर,तुम खुद चले आते, तो बात बनती
बिन बोले कुछ भी,जो सब कुछ कह जाते, तो बात बनती

धड़कनों को यूँ छू कर,जो साँसों में समाते ,तो बात बनती

जब तक है जिंदगानी,प्यार यूँ ही निभाते ,तो बात बनती

















कल था ,आज है ,रोज ऐसा मौसम लाते ,तो बात बनती

प्यार की चली हवाएँ,मेरे लवगुरु बन आते, तो बात बनती

राहें कठिन है तुम बिन,जो साथ चले आते, तो बात बनती

निभाया है अभी तक, तमाम जिंदगी निभाते, तो बात बनती 




जब तक है जिंदगानी,प्यार यूँही दोहराओ,तो बात बने
आज दिल ने पुकारा,मेरे वेलिंटाइन बन जाओ,तो बात बने

Tuesday, February 12, 2013

''..जादू की जफ्फी..''



दोस्तों ने दोस्तों को यूँ गले से लगाया है
 गिले शिकवे मिटा,दिल से दिल मिलाया है
 अब तो दे दो यार तुम भी''जादू की जफ्फी''
 हम भी कहें आज हमने भी हॅग डे मनाया





 गिले शिकवे मिट गये, गम सब दूर हो गये
 यारों से यार मिले,सबके मन हल्के हो गये
 कहने को हम दूर हैं पर सबके दिल में रहते हैं
 आँख बन्द कर बाहें फैलाओ,हम यहीं हैं कहते हैं





Monday, February 11, 2013

''........तुम बदल गये हो..........''


तुम बदल गये हो..........

कितना भी हो दिलभर से प्यार
समय के साथ बदल जाता है
सूरज हो कितने भी शबाब पर
रात होते होते ढल जाता है







यह तो कहने की है बात
नही छोड़ेंगे जीवन भर साथ
राह बदलते ही दिल बदल जाए
छूट जाए फिर हाथ से हाथ




ऐसा वादा मत करना यार
जो तुम निभा ना सको
किसी को गम मत देना
'गर मुस्कराना सिखा ना सको






वादा निभाने की कोशिश करना
क्योंकि वादे तो टूट जाते हैं पर
''कोशिशें'' अक्सर कामयाब हो जाती हैं
                                *****************

Saturday, February 9, 2013

''कुछ मीठा हो जाए.............''





'कुछ मीठा हो जाए' का मन अगर कर आया है
क्यों? चाकलेट चाकलेट चारों ओर ही छाया है
गर्लफ्रेंड को देने को बेटा चाकलेट लाया है 
यह तो पूछो उसकी माँ ने नीवाला खाया है

माना यह इज़हारे प्यार है उससे तुम्हारा
पूछ लो अगर माँ को तो क्या बिगड़े तुम्हारा
ना चाहे कुछ तुमसे कभी, देगी केवल दुआएँ
बेटा ना कभी तुझे छुएँ जमाने की गर्म हवाएँ

करो एक वादा आज किसी ग़रीब का चूल्हा जलाओगे
खाना किसी भूखे को ,अपनी कमाई से खिलाओगे 
देगा जो आशीर्वाद तुम्हे वो जाएगा ना कभी खाली
एक दिन के लिए बन जाओ उसकी बगिया के माली 





Friday, February 8, 2013

''..प्यार को प्यार ही रहने दो ..''


सभी दोस्तों का शुक्रिया, ऋतुराज बसंत की रचना 
''यह तो मौसम का जादू है मितवा''पसंद करने के लिए! 
यह तो 'वेलिंटाइन डे' के बारे में बताने की कोशिश की ,जो अपने
ऋतुराज बसंत से कुछ अलग नहीं है ,यह तो एक वर्ष पहले पश्चिम 
से आया है हमारीतो सदियों से यह परंपरा रही है ,पुष्पों के खिलने 
पर हर मन उत्साहित होता है,श्रृंगार रस के कवियों ने सबसे अधिक 
बसंत ऋतु पर ही कविताएँ लिखी हैं,और अपने संगीत में इन पुष्पों 
का बहुत महत्व है ,वैसे तो मेरा मानना है कि प्यार के इज़हार के 
लिए कोई मौसम की ,दिन की बंदिश नहीं है,यह तो एक सुखद अनुभूति 
है जिसका कोई समय तय नहीं है,इसी को प्रस्तुत करती मेरी छोटी सी
भेंट दोस्तों के नाम........  



प्यार को प्यार ही रहने दो .............

मेरा प्यार मोहताज नहीं उन तिथियों का
जो 'रोज़ डे' को गुलाब देने से
'टेडी डे' पर टेडी देने से याद आए
जिसके लिए एक ख़ास दिन 
'वेलिंटाइन डे' मुकर्र किया जाए,
यह तो है एक निच्छल,अविरल,अहसास
जो बाँधे है मुझे निरंतर 
जीवन की डोर से
जो दे जाता है एक विश्वसनीय आस

यह तो है इक सुखद अनुभूति
जिसका नहीं है जवाब
कब? कहाँ ?कैसे हो जाए?
नहीं कोई इसका हिसाब

रोज़ डे पर रोज़,चाकलेट डे पर चाकलेट
टेडी डे पर टेडी नहीं है मुझे स्वीकार
कोई अपना जो करे मेरी चिन्ता
यही है मेरे लिए सबसे बड़ा उपहार

या यूँ कहिए
ना दो चाकलेट,टेडी या रोज़
करती हूँ मैं इसे अपोज़
कोई मेरे लिए करे क़ेयर
जो करे सब मुझसे शेयर
वोह है मेरे सबसे नियर
वोही है मुझे सबसे डियर

Thursday, February 7, 2013

''......यह तो मौसम का जादू है मितवा......''




आते ही बसंत,पुष्प छाएँ अनंत
मन हरेक का पुष्पों सा खिल जाए
प्यार के भंवरे चक्कर इस पर लगाएँ
भारत में यह 'ऋतुराज बसंत' कहलाता है
विदेश में यह 'वेलिंटाइन डे' बन जाता है 

कुछेक इसे 'प्यार का केमिकल लोचा' बताते हैं
डोपामीन हार्मोन से दिल का धड़कना समझाते हैं
एड्रीनेलिन हार्मोन नींद, भूख और प्यास भगाता है
दर्द को कम करता है,बस प्यार ही नज़र आता है

क्यों ना मेरे देश की जनता को प्यार सिखाया जाए
कम से कम देश का अन्न और पानी तो बचाया जाए
नौजवानों को नींद से भगाकर ज़्यादा काम करवाया जाए
कुछेक ग़रीबों का पेट भर जाए,चैन की नींद वो सो जाएँ
उनके भी सपने इस ऋतुराज में ही सही, पूरे तो हो जाएँ

करो ऋतुराज के आगमन का स्वागत सबको देकर फ़ूल
चाहे हो सूरजमुखी,लिली,कमल या गुलाब,करो सभी कबूल
'ऋतुराज' बसंत को सब ऐसे ही प्यार से मनाते रहें!
प्यार की बयार में खुद बहें,औरों को यूँही बहाते रहें!!

Monday, February 4, 2013

!!!...गुटरगूं... गुटरगूं...!!!



मेरे शयनकक्ष के बाहर
एसी की छत पर,
हर रोज आकर गाता
गुटरगूं ... गुटरगूं ...

वो सफेद पंख वाला
कबूतर का जोड़ा

जैसे नर कह रहा हो
अपनी प्रिया से...
पास मेरे आओ ना,
मुझसे चोंच लड़ाओ ना
गुटरगूं... गुटरगूं...

वो मिलन गीत सुनाता 
कबूतर का जोड़ा

थक गया हूँ मैं,,
ज़रा पंख मेरे सहलाओ ना
थकान दूर भगाओ ना
गुटरगूं... गुटरगूं...

वो प्रणय गीत गाता,
कबूतर का जोड़ा

ऋतुराज के आते ही
फूलों सा मुस्कुराता
हर दिल में बस जाता
गुटरगूं... गुटरगूं...

वो मदमस्त गुनगुनाता
कबूतर का जोड़ा

शांति का प्रतीक
हर दिल अज़ीज
बिन बोले सब कह जाता
गुटरगूं... गुटरगूं...

वो प्रेम भाषा समझाता
कबूतर का जोड़ा

प्रेमी युगल के जैसे
मिलने को जैसे आतुर
ऐसे गले लग जाता
गुटरगूं... गुटरगूं...

वो  श्वेत पंख फैलाता
कबूतर का जोड़ा

Friday, February 1, 2013

''...सपने...???''


लोग कहते हैं...

सपने कभी मत देखो,यह तो अक्सर टूट जाते है 
सपने कभी पूरे नही होते,सबके साथ छूट जाते हैं
दिन का उजाला होते ही,अपने हमसे रूठ जाते हैं



मैं कहूँ...

आओ देखें मिलकर इक सपना नया
दिन का है उजाला अब, रात का अंधेरा गया

सीड़ी नही चड़ी तो क्या जानें? उपर जाने का सुख
गिर गिर कर सवार होने से क्यों पाते हो दुख?

यह तो है दुनिया की रीत,गिर गिर सीडीयाँ चढ़ना
सामने हो लक्ष्य,इरादे हों अटल,फिर काहे को डरना