हमराही

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Thursday, February 7, 2013

''......यह तो मौसम का जादू है मितवा......''




आते ही बसंत,पुष्प छाएँ अनंत
मन हरेक का पुष्पों सा खिल जाए
प्यार के भंवरे चक्कर इस पर लगाएँ
भारत में यह 'ऋतुराज बसंत' कहलाता है
विदेश में यह 'वेलिंटाइन डे' बन जाता है 

कुछेक इसे 'प्यार का केमिकल लोचा' बताते हैं
डोपामीन हार्मोन से दिल का धड़कना समझाते हैं
एड्रीनेलिन हार्मोन नींद, भूख और प्यास भगाता है
दर्द को कम करता है,बस प्यार ही नज़र आता है

क्यों ना मेरे देश की जनता को प्यार सिखाया जाए
कम से कम देश का अन्न और पानी तो बचाया जाए
नौजवानों को नींद से भगाकर ज़्यादा काम करवाया जाए
कुछेक ग़रीबों का पेट भर जाए,चैन की नींद वो सो जाएँ
उनके भी सपने इस ऋतुराज में ही सही, पूरे तो हो जाएँ

करो ऋतुराज के आगमन का स्वागत सबको देकर फ़ूल
चाहे हो सूरजमुखी,लिली,कमल या गुलाब,करो सभी कबूल
'ऋतुराज' बसंत को सब ऐसे ही प्यार से मनाते रहें!
प्यार की बयार में खुद बहें,औरों को यूँही बहाते रहें!!

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13 comments :

  1. बसंत ऋतु पर आधारित बेहद सुन्दर प्रस्तुति

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  2. बसंत का आगमन हो रहा है ... सुन्दर प्राकृतिक क्षटा गीत में भी उहार रही है ...
    सुन्दर गीत ...

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    1. हौंसला बढ़ाते रहें

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  3. निश्छल सुंदर भाव ...बसंत पर ...

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  4. सुंदर पंक्तियाँ...सार्थक सन्देश

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  5. सन्देश देती बेहतरीन रचना,,,,
    आपकी पोस्ट पर आना सार्थक रहा,,,

    WELCOME TO MY RECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...

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  6. जी नही ये लोग पुराने ढर्रे पर क्यूँ जायेंगे क्या होता है बसंत ये तो वेलनटाइन दे मनायेंगे
    मनायेंगे जो हिन्दी त्यौहार गँवार नही कह लायेंगे???? , बहुत अच्छी सार्थक प्रस्तुति काश इसका सब तक संदेश पन्हुचे

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  7. हर शब्‍द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।

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