हाइकु[किसान]
तपता दिन
उबलता सूरज
बेचैन सब
खेत में खेती
मेहनती किसान
बिन पानी के
बिन पानी के
कैसे उगे अनाज
बिजली कटी
बिजली बिल
बढती मंहगाई
मूक जनता
मूक जनता
किसे करे गुहार
बेबस लोग
सूरज अस्त
आग लगे बस्ती में
सत्ता भी मस्त
अँधेरा छाया
लौट घर को आया
वो भूखा प्यासा
खबरनामा
ने सुबह बताया
मन दुखाया
अन्नदाता ने
आत्महत्या कर ली
पेट के वास्ते