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Sunday, June 2, 2013
नित खैर मंगा [नुसरत फ़तेह अली खान]
तू मिलया ते मिल गई खुदाई वे
हथ जोड़ आखां पाई न जुदाई वे
मर जावांगी जे अख मैथो फेरी
दुआ न कोई होर मंगदी
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