हमराही

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Sunday, July 21, 2013

' कुण्डलिया छंद '[बरखा की ख़ुशी]

बरखा रानी आ गई ,लेकर बदरा श्याम |
धरा आज है पी रही ,भर भर घट के जाम|| 
भर भर घट के जाम , हरियाली है छा गई |
महक बिखेरें फूल , सावन रुत है आ गई  ||
लोग हुए खुशहाल ,चला जीवन का चरखा |
खुश हुए हैं बालक, मेघा ले आय बरखा ||
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