२१२ २१२ २१२ २१२ २१२
जिंदगी में तुम्हारी कमी रह गई
प्यास मेरी अधूरी यही रह गई
आशियाने बहे ना डगर ही मिली
सूचना आसमानी धरी रह गई
घोर तांडव हुआ खैर पा ना सके
फूल तोडा गया बस कली रह गई
ये कयामत चली लेखनी की तरह
ख़्वाब टूटे मगर चोट भी रह गई
ये ख़ुशी नागवारी खुदा को हुई
तो अकड़ आदमी की धरी रह गई
पेड़ काटे अगर तो सही त्रासदी
पेड़ रोपे धरा फिर हरी रह गई
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