2122 1122 1122 112
आदमी मौन हुआ राज छुपाये न बने
चीख आकाश उठा आज सुनाये न बने|
हमसे नफ़रत न हुई उनसे मुहब्बत न हुई
क्या बने बात जहां बात बनाये न बने |
यार है यार बना साथ मुलाकात रहे
कब रहे यार अगर साथ निभाए न बने |
ज्ञान को बाँट अगर चाह तुझे बढने की
जो रखे पास हुनर ज्ञान बढाये न बने |
क्या पता वोह कभी थाम सके बाहों में
इसलिए साथ चले हाथ हटाए न बने |
शाम जो आँख मिली हाल बताते रहे
आँख जो आज उठी हाल सुनाये न बने |
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