ख़्वाब पूरे हुए आस भी रह गई
जिंदगी में तुम्हारी कमी रह गई
फ़ौज से लौट कर आ सका वह नहीं
जिंदगी में तुम्हारी कमी रह गई
फ़ौज से लौट कर आ सका वह नहीं
माँग भरकर सुहागन खड़ी रह गई
खैर तेरी खुदा से रही मांगती
चाह तेरी मुझे ना मिली रह गई
छोड़ कर तुम भँवर में न होना खफा
घाव दिल को दिए जो छली रह गई
आजमाइश तूने की अजब है सबब
मांगने में कसर जो कहीं रह गई
प्यार गुल से निभा बुल फिरे पूछती
आरजू में बता क्या कमी रह गई
घाव बुल को मिले हो गई अजनबी
आरजू अब अधूरी पड़ी रह गई
*******