1 2 2 2 1 2 2 2
दिलों को जो सुहाते हैं /
दिलों पे जाँ लुटाते हैं /
निगाहों से क़त्ल करके
मुझे कातिल बनाते हैं /
दिलों के हैं अजब रिश्ते
सदा अपने निभाते हैं /
यूँ पल पल मर रही हूँ मैं
मुझे जिन्दा बताते हैं /
सभी अपने तुम्हारे बिन
मुझे जीना सिखाते हैं /
सुना है ऐसे में अपने
भी दामन छोड़ जाते हैं /
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