बैसाखी नाम बैसाख से बना ,खुशिया लेकर आता है
किसान अपनी फसल देखकर झूम झूम कर गाता है
फसल ऐसे लहलहाई,अब राखी इनकी ख़त्म हुई
नवजीवन का संचार हुआ तो सब किसान हर्षाते है
मेष राशि में जो प्रवेश हुआ सूर्य ,शरद ऋतू का अन्त हुआ
नव संवत्सर के आगमन के साथ मेष सक्रांति मनाते है
औरंगजेब के अत्याचारों से भोली जनता को बचाने को
गुरु गोबिंद सिंह ने आनंदपुर में खालसा पंथ बनाया था
रौल्ट एक्ट का विरोध करने जलियांवाला बाग में आये तो
एक कायर जनरल डायर ने निर्दोषों का खून बहाया था
बहा सको तो बहाओ 'सरिता' प्यार की, बैसाख फिर से आया है
नवसंवत्सर ,नवरात्र ,बैसाखी देखकर, फिर से मन मुस्काया है
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