जन जन का उद्धार करेंगे
बेड़ा सबका पार करेंगे
बोले तो नेता जी
बोलेंगे वो मीठी भाषा
लोग लगा बैठे हैं आशा
बोले तो नेता जी
घर घर जाकर माँगे वोट
मंहगाई पर करेंगे चोट
बोले तो नेता जी
धारते मनभावन आखेट
कहें मिलती रोटी भरपेट
बोले तो नेता जी
सफ़ेद वस्त्र हैं काले धन्धे
इनके दिन ना बीतें मंदे
बन गए नेता जी
नेता जी की नहीं जुबान
इनके हाथ में देश की आन
बन गए नेता जी
घर अपने का हुआ उद्धार
अपनों का किया बेड़ा पार
बन गए नेता जी
ले लिया वोट देकर नोट
मन में भरा था इनके खोट
चले गए नेता जी
पाँच बरस तक कर इंतज़ार
सहना अब मंहगाई की मार
चले गए नेता जी
किया कोई ना वादा पूरा
हर सपना छोड़ा अधूरा
चले गए नेता जी
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