सितारों सी सजी राहें रिझाती हैं दिवाली में
ख़ुशी की महफ़िलें जब खास आती हैं दिवाली में |
सिया औ' राम जो आए अयोध्या लौट कर तब से
नगर गलियाँ मुंडेरें टिमटिमाती हैं दिवाली में |
दुआयें माँ हमेशा दे रही बच्चों को लगता ,जब
फिजाएं नूर की चादर बिछाती हैं दिवाली में |
पटाखों को नहीं कहकर, ख़ुशी से झूमते बच्चे
सुरक्षा आदतें माएं सिखाती हैं दिवाली में |
रंगोली है सजी आँगन, दिये रोशन करें जीवन
दियों के रूप में खुशियाँ ही आती हैं दिवाली में |
अँधेरा दूर कर मन का ,चले जो राह सच्ची हम
खुदा की रहमतें राहें दिखाती हैं दिवाली में |
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