आओ फिर गणतंत्र मनायें
आजादी की अल्ख जगायें
सत्य अहिंसा का दे मंत्र
हर्ष दे रहा है गणतंत्र
फिर से प्रेम मशाल जगायें
आओ फिर ...
तोपों की दे रहे सलामी
दूर हुई थी आज गुलामी
राष्ट्र ध्वज फिर से फहरायें
आओ फिर ...
सजे ऊँट घोड़े और हाथी
चलते ताल मिलाकर साथी
झाँकियों में भारत दिखलायें
आओ फिर ...
विजय चौक बना बहुरंगा
ऊँचा उड़ता जाये तिरंगा
अमर जोत पर शीश नवायें
आओ फिर ...
अपने खून से खेली होली
सीने पर खाई थी गोली
हम भी अपना फर्ज निभायें
आओ फिर...
आजाद हिन्द की फ़ौज बनाकर
आजादी के नगमें गाकर
अब तो सोया देश जगायें
आओ फिर ...
सेवा त्याग ईमान यहाँ हो
नारी का सम्मान वहाँ हो
ऐसी इक पहचान बनायें
आओ फिर ...
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
मिलजुल सारे भाई भाई
इस मिटटी की शान बढायें
आओ फिर ...
असली आजादी हो तब
भ्रष्ट तंत्र ख़त्म हो जब
भारत को सिरमौर बनायें
आओ फिर ....
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