मन बच्चा है बहलाने को
मिट्टी के खिलौने बनायें
किसी के सिर पर रखकर चोटी
किसी के माथे तिलक लगायें
किसी के मुँह पर लगा के दाढ़ी
किसी को सुन्दर साड़ी पहनायें
किसी के सिर पर रखकर टोपी
किसी के सिर पगड़ी पहनायें
काश मानव हो मिट्टी के खिलौने
मौला, पंडित ,फादर ,भाई
गूँथ इन्हें सबको मिलायें
मिली जुली इस मिट्टी से फिर
नए नए आकार बनायें
दाढ़ी किसी की चोटी बन जाये
चोटी में दाढ़ी छुपायें
टोपी किसी की पगड़ी बन जाये
पगड़ी में टोपी छुपायें
किस्में कितना कौन छुपा है
कौन बताये कौन बताये
भेदभाव सारे मिट जायें
आओ सच्चा मानव बनायें
इंसानों में इंसानियत जगायें
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