किताबे जिंदगी खोलूँ पलों में मुस्कराना तुम
वो सूखे पुष्प सा बनकर सदा यादों में आना तुम |
तमस को जिंदगी से दूर कर के रोशनी बनना
सुबह की ओस बनकर अब सदा ही खिलखिलाना तुम |
सभी लम्हे समेटे जिंदगी का राग गाना तुम |
कभी जो जीतना हो जीतना खुद को ही तुम लेकिन
वफा के वास्ते फिर जीत सरिता हार जाना तुम |
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