याद है मुझे वो लम्हा
जिंदगी की पगडंडियों पर
पाने को अपना अंतिम लक्ष्य
मैं देख रही थी सुनहरे सपने
उसके साथ जीने के
मकसद तो एक ही था
जीवन से मृत्यु का मिलन
लेकिन
वो बहुत आगे निकल गया
मुझसे बिछुड़कर
यही था मिलन
जिंदगी की हार
मौत की जीत का
वो जीत गया था जिंदगी को हारकर
मैं हार गई थी जिंदगी को जीतकर
... 9 दिसम्बर,2016
यश जी की तीसरी पुण्यतिथि पर