हमराही

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Saturday, December 10, 2016

मेरी हार या मेरी जीत


याद है मुझे वो लम्हा 
जब वो बढ़ चला था 
जिंदगी की पगडंडियों पर 
पाने को अपना अंतिम लक्ष्य 
मैं देख रही थी सुनहरे सपने
उसके साथ जीने के 
मकसद तो एक ही था 
जीवन से मृत्यु का मिलन 
लेकिन
वो बहुत आगे निकल गया
मुझसे बिछुड़कर 
यही था मिलन                                     
जिंदगी की हार
मौत की जीत का
वो जीत गया था जिंदगी को हारकर 
मैं हार गई थी जिंदगी को जीतकर

              ... 9 दिसम्बर,2016
            यश जी की तीसरी पुण्यतिथि पर 

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