हमराही

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Wednesday, January 9, 2013

''...प्रीतम का इंतज़ार...''



ऐसे ठंडी दिल्ली बैठी ,

कोहरे की चादर ओढ़े
करती अपने प्रीतम,
सूरज का इंतज़ार!
जैसे ओढ़े लाल दुपट्टा,
नई नवेली दुल्हन 
को हो घूँघट के पट 
खुलने का इंतज़ार!
मिलना तो दोनों को ही,
अपने प्यारे प्रीतम से!
जो दे सके सकूं अपार,
सच करें सपना उनका,
उज्जवल करे उनका संसार!



प्रीतम के मिलते ही, 

लालिमा लिए चेहरा, 
दोनों का ऐसे खिल जाए!
जैसे भंवरे के स्पर्श से,
पुष्प को आकार मिल जाए!
ओज सा ऐसे चेहरे से दमके,
बगिया दोनों की खिल जाए,
कैसे करें दोनों इज़हार ?
दोनों को प्रीतम का इंतज़ार
बस केवल प्रीतम का इंतज़ार
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16 comments :

  1. Replies
    1. अरुण जी पसंद करने के लिए आभार

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  2. बहुत ही बढ़िया


    सादर

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    Replies
    1. यशवंत जी सुझाव के लिए शुक्रिया

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  3. एक निवेदन
    कृपया निम्नानुसार कमेंट बॉक्स मे से वर्ड वैरिफिकेशन को हटा लें।
    इससे आपके पाठकों को कमेन्ट देते समय असुविधा नहीं होगी।
    Login-Dashboard-settings-comments-show word verification (NO)

    अधिक जानकारी के लिए कृपया निम्न वीडियो देखें-
    http://www.youtube.com/watch?v=L0nCfXRY5dk

    धन्यवाद!

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    Replies
    1. यशवन्त माथुर जी आपकी वीडियो से काफ़ी सहायता मिली
      आभार!
      आशा है जो आपने कहा वो ठीक हो गया है कृपया मार्गदर्शन करते रहें

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  4. बहुत ही सुंदर भावाव्यक्ति बधाई
    कृपया वर्ड वरिफिकेसन हटा दीजिये

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  5. संगीता जी मेरी रचना 'आज की हलचल' पर लाने के लिए शुक्रिया!
    अच्छे अच्छे ब्लॉग्स से रूबरू होने का मौका मिला

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  6. वाह!!!बेहतरीन भाव संयोजन

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