अबला नारी को कहें, उनको मूरख जान
नारी से है जग बढ़ा ,नारी नर की खान
नारी नर की खान ,प्यार बलिदान दिया है
नारी नहिं असहाय ,मर्म ने विवश किया है
पाकर अनुपम स्नेह ,बनेगी नारी सबला
नर जो ना दे घाव ,रहे कैसे वह अबला
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