सुबह उठते जिसे देखने की चाह हो
मन हर पल देखता जिसकी राह हो
मन हर पल देखता जिसकी राह हो
क्या यही प्यार है?
मंदिर में भगवान दर्शन की जो आस हो
किसी के पास खड़े होने का अहसास हो
क्या यही प्यार है?
जिसके पास बैठने की कल्पना से दूर थकान हो
जिसके गोद में सर रखने के बाद ना कोई अरमान हो
क्या यही प्यार है?
नफ़रत ना हो जिससे लाख कोशिश के बाद
जिसे ना भूल पाएँ हो दुनिया उसी से आबाद
क्या यही प्यार है?
जिसका दिल कहीं,धड़कन हो कहीं और
शायद वोही है आपका सच्चा चितचोर
इसे पढ़ते हुए आए जो याद बार बार
मान लो उसी को अपना सच्चा प्यार
जो होता नहीं कभी बिना ऐतबार
हाँ, यही है, यही है सच्चा प्यार