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मुहब्बत कर अभी पछता रहा हूँ
निरंतर दर्द पीता जा रहा हूँ ||
अदाओं पे तेरी मैं हूँ फ़िदा क्यों?
ये दिल नादान को समझा रहा हूँ
मेरी तक़दीर में शायद नही तू
तेरी यादों से दिल बहला रहा हूँ ||
मेरी तनहाइयों के उन पलों में
अधूरी ख्वाहिशें बुनता रहा हूँ ||
गज़ल तुम हो बना हूँ काफिया मैं
तेरे अशआर में मतला रहा हूँ ||
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