काहे बनाए तूने माटी के पुतले 
धरती यह प्यारी मुखड़े यह उजले 
तू भी तो तड़पा होगा मन को बनाकर 
तूफान यह प्यार का मन में जगाकर 
कोई छवि तो होगी आँखों में तेरी 
आंसूं भी छलके होंगे पलकों से तेरी 
बोल क्या सूझी तुझको काहे को प्रीत जगाई 
सपने जगाके तूने काहे को देदी जुदाई 
 
