अंग्रेजी में एक सन्देश आया था मेरे फ़ोन में उसी को रचना का आकार दिया चंद अपने शब्दों को भी जोड़कर
जब कभी सीमा पर
एक सिपाही सोता है,
अपनों को याद कर
वो चुपके से रोता है|
कहीं पर कोई माँ
एक आह भरती है,
नवजात शिशु की आँखें
ना खुलने से डरती है|
कहीं पर एक गरीब बाप
चुपके से रोता है,
जब उसका बेटा एक टुकड़ा
रोटी के लिए रोता है|
कहीं पर एक लड़की
अनाथालय में उदास है,
क्योंकि उसके माँ बाप
आज न उसके पास हैं|
कभी कभी तुम खुश रहने का
ना कोई कारण पाते हो,
पर अपने आपको बहुतों से
कुछ ज्यादा ही खुश पाते हो |
सीख सको तो अपने से नीचे
देख के जीना सीख ,
शोहरत के पीछे भागो तो
नहीं मिलेगी भीख ||
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