1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2 2 1 2
लबों से आज गायब हो गई मुस्कान है
अजब सी अब परेशानी लिए इन्सान है /
कभी तो दिन भी बदलेंगे ,मिलेगा चैन तब
दुखों का अंत होगा तब यही अनुमान है /
गिले शिकवे यूँ अब हावी हुए रिश्तों पे हैं
लगा अब दांव पर परिवार का सम्मान है /
किसे अपना कहें किसको पराया हम कहें
यहाँ हर चेहरे की अब छुपी पहचान है /
रचे हैं साजिशें गहरी मगर अब सोचते
जफ़ा पाकर खुदी का डोलता ईमान है /
जमाना लाख समझाए नहीं सुधरेंगे ये
नहीं मजहब सिखाता यूँ लुटाना आन है /
चले आओ हमारे पास ढलती शाम में
हमें घर आज फिर से ही दिखे अनजान है /
तुम्हारे साथ ही गुजरी हमारी जिंदगी
सनम है आज भी बसती तुम्हीं में जान है /
वफ़ा सरिता निभाई है हमेशा साथ दे
जतन तुम भी करो मुश्किल नहीं आसान है //
*****