हमराही

सुस्वागतम ! अपना बहुमूल्य समय निकाल कर अपनी राय अवश्य रखें पक्ष में या विपक्ष में ,धन्यवाद !!!!

Monday, January 27, 2014

अँधेरे रास हैं आए वफ़ा तुझसे निभाने में

1222    1222    1222     1222
बड़ी मुश्किल से कुछ 'अपने' मिले हमको ज़माने में 
कहीं उनको न खो दूँ ख्वाहिशें अपनी जुटाने में /

बने जो नाम के अपने हैं उनसे दूरियाँ अच्छी 
मिलेगा क्या भला नजदीकियां उनसे बढ़ाने में/

उजाले छोड़े हैं तेरे लिए रहना सदा रोशन  
अँधेरे रास हैं आए वफ़ा तुझसे निभाने में /

हसीं यादों ने छोड़े हैं सफ़र में ऐसे कुछ लम्हे 
रँगें हैं हाथ अपने अब निशाँ उनके मिटाने में /

दिलों को तोड़ते हैं जो विदा कर यार को ऐसे 
जो थामे धडकनें तेरी न डर अपना बनाने में /

हुई खामोश क्यों सरिता है तू आधार जीवन का 
गँवाना अब नहीं तुम वक्त खुद को आजमाने में 

********
Post A Comment Using..

No comments :